देश के लिए उठे जो हर दिन अब वैसी आवाज नहीं है-संपादकीय लेख
देश के लिए उठे जो हर दिन अब वैसी आवाज नहीं है। हमारा तिरंगा किसी एक दिन का मोहताज़ नहीं है, उठी थी जैसी सन सत्तावन में अब वैसी परवाज़ नहीं है, आज दिखेगी देशभक्ति फिर मूक बनेंगे सारे सब, देश के लिए उठे जो हर दिन अब वैसी आवाज नहीं है। देश के लिए…