“मुझको मेरे बाद जमाना ढूंढेगा” अपनो के जाने के बाद ही पता चलता है।
विशेष लेख- उपमा गुप्ता / सोन प्रभात हालांकि शोहरत की विजयगाथा” के श्रेष्ठता को लेकर सचेत स्तंभकारों को एक “मीडियाकर्मी”के रूप में समाज के ‘पथ-प्रदर्शक शक्तियों’ पर लिखना हमेशा लीक से हटकर होता है तथापि ‘नाउम्मीद बनने की आकांक्षा’ को झूठलाते, मन और मिजाज से अपनों के प्रति आंखों में निश्चल स्नेह लिए कुछ पथ-प्रदर्शको…