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कविता -: हां! मुझे इन हवाओं से प्यार है। – अनिल गुप्ता

सोनप्रभात – कला साहित्य विशेष

रचना -:  अनिल कुमार गुप्ता – सोनप्रभात

 

हां! मुझे इन हवाओं से प्यार है।।

यहीं खिलते कमल हैं,
यहीं बनती गज़ल हैं,

ये धरा बड़ी ख़ूबसूरत,
सहज और सजल है,
बगियन में भी एक नई सी बहार है।
हां!मुझे इन हवाओं से प्यार है।।

खेत लहलहाते हैं,
पुष्प मुस्कुराते हैं,
नदियां भी कल कल सी,
मधुर स्वर सुनाती हैं,
बहने को संग इनके ह्रदय बेकरार है।
हां!मुझे इन हवाओं से प्यार है।।

 

शहर हैं व गांव भी हैं,
नीर का जमाव भी है,
आज मेघ गरजन में,
एक अलग सा ताव भी है,
वृक्ष और पुष्प इस धरा की श्रृंगार हैं।
हां!मुझे इन हवाओं से प्यार है।।

ग्रीष्म है बसंत है,
सर्दी भी अनंत है,
नाचते मयूर जैसे,
वन ही रंगमंच है,
प्रकृति की हरकत में संगीत की भरमार है।
हां!मुझे इन हवाओं से प्यार है।।
हां!मुझे इन हवाओं से प्यार है।।

– अनिल कुमार गुप्ता

 

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