Teacher’s Day – जाने शिक्षक दिवस के बारे में, क्या है इस दिन का इतिहास और महत्व।

Teacher’s Day – Special Article –
लेख – एस ०के० गुप्त “प्रखर” / सोन प्रभात
गुरु-शिष्य परंपरा भारत की संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। जीवन में माता-पिता का स्थान कभी कोई नहीं ले सकता, क्योंकि वे ही हमें इस रंगीन खूबसूरत दुनिया में लाते हैं। कहा जाता है कि जीवन के पहले गुरु हमारे माता-पिता होते हैं। भारत में प्राचीन समय से ही गुरु और शिष्य परंपरा चली आ रही है, लेकिन जीने का असली राह हमें शिक्षक ही बताते और सिखाते हैं।
हर वर्ष 5 सितंबर को शिक्षक दिवस (Teachers Day) मनाया जाता है। भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म-दिवस के अवसर पर शिक्षकों के प्रति सम्मान ला भाव प्रकट करने के लिए पूरे भारत में शिक्षक दिवस 5 सितंबर को मनाया जाता है। ‘गुरु’ का हर किसी के जीवन में बहुत महत्व होता है। समाज में भी उनका अपना एक विशिष्ट स्थान होता है। सर्वपल्ली राधाकृष्णन शिक्षा में बहुत विश्वास रखते थे। वे एक महान शिक्षक थे। उन्हें अध्यापन से गहरा प्रेम था। उनमे एक आदर्श शिक्षक के सभी गुण विद्यमान थे। इस दिन पूरे देश में भारत सरकार द्वारा श्रेष्ठ शिक्षकों को पुरस्कार भी प्रदान किया जाता है।
डॉ राधाकृष्णन का जन्म सन 1888 में तमिलनाडु के तिरूतनी नामक एक गांव में हुआ था। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का बचपन बहुत गरीबी में बीता था। राधा कृष्णन बचपन से ही पढ़ाई में बहुते तेज थे। गरीब होते हुए भी वह पढ़ाई में कभी भी पीछे नहीं रहे और फिलॉसफी में एम.ए किया, फिर इसके बाद 1916 में मद्रास रेजीडेंसी कॉलेज में फिलॉसफी के असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में कार्य किया, फिर कुछ साल बाद प्रोफेसर बने। देश के कई विश्वविद्यालयों में पढ़ाने के साथ ही कोलंबो एवं लंदन यूनिवर्सिटी ने भी डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को कई मानक उपाधियों से सम्मानित किया गया। 1949-1952 तक वह मास्को में भारत के राजदूत रहे और 1952 में भारत के पहले उपराष्ट्रपति बनाए गए। बाद में डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया था।
भारत में 5 सितंबर को शिक्षक दिवस (Teacher’s Day) के रूप में समाज में शिक्षकों द्वारा किए गए योगदान को श्रद्धांजलि के रूप में मनाया जाता है। 5 सितंबर एक महान शिक्षक डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती है, जो शिक्षा के कट्टर विश्वासी थे और एक प्रसिद्ध राजनयिक, विद्वान, भारत के राष्ट्रपति और सबसे बढ़कर एक शिक्षक थे। जब उनके कुछ छात्रों और दोस्तों ने उनसे संपर्क किया और उनसे उनका जन्मदिन मनाने की अनुमति देने का अनुरोध किया, तो उन्होंने कहा, “मेरा जन्मदिन अलग से मनाने के बजाय, यह मेरे लिए गर्व की बात होगी, अगर 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है”। तभी से भारत में 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। डॉराधाकृष्णन विद्वान, विचारक और बहुत सम्मानित शिक्षक थे।
इस बार कोविड-19 महामारी के कारण महीनों स्कूल बंद रहे हैं, कई जगह स्कूल खुल भी गए है। वर्चुअली पढ़ाई के साथ अब शिक्षकों के लिए स्टूडेंट्स अब विडियो आदि बनाकर शिक्षकों का आभार प्रकट कर रहे हैं।
शिक्षक हमारे जीवन की नींव होते हैं। वे एक स्टूडेंट के लिए एक मां की तरह होते हैं। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का मानना था कि देश में सर्वश्रेष्ठ दिमाग वाले लोगों को ही शिक्षक बनना चाहिए। सर्वपल्ली डॉ.राधाकृष्णन का कहना था कि शिक्षक वह नहीं जो विद्यार्थी के दिमाग में तथ्यों को जबरन ठूंसे, बल्कि वास्तविक शिक्षक तो वह है जो उसे आने वाले कल की चुनौतियों के लिए तैयार करें। उन्हें भारत रत्न से भी नवाजा गया था। विश्व शिक्षक दिवस 5 अक्तूबर को मनाया जाता है। यूनेस्को ने 1994 में शिक्षकों के कार्य की सराहना के लिए 5 अक्तूबर को विश्व शिक्षक दिवस के रूप में मनाने को लेकर मान्यता दी थी। सावित्रीबाई ज्योतिराव फुले को देश की पहली महिला शिक्षक के रूप में जाना जाता है। उन्होंने लड़कियों की शिक्षा में अहम योगदान दिया था।