gtag('config', 'UA-178504858-1'); राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का स्थापना दिवस रामलीला मैदान पर मनाया गया। - सोन प्रभात लाइव
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का स्थापना दिवस रामलीला मैदान पर मनाया गया।

  • आत्म सम्मान एवं धर्म रक्षा हेतु शस्त्र पूजा के महत्व को समझाया गया।

दुद्धी – सोनभद्र / जितेंद्र चंद्रवंशी – सोन प्रभात

दुद्धी सोनभद्र विजयादशमी के पावन पर्व पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना कर विश्व में वसुधैव कुटुंबकम का स्वप्न संजोये हिंदुत्व के सिरमौर्य प्रणेता,डॉक्टर हेडगेवार जी द्वारा 27 सितंबर 1925 को महाराष्ट्र राज्य के नागपुर में स्थापित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्थापना के पावन अवसर पर रामलीला मैदान पर आस्था और हिंदुत्व के आदर्श का प्रतीक गुरु ध्वज के सानिध्य व उत्साह पूर्ण माहौल में स्वयं सेवकों के बीच उपस्थित जिलासह संघचालक नंदलाल अग्रहरी द्वारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्थापना दिवस पर डॉ केशव बलिराम हेडगेवार जी द्वारा स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए तन मन धन पूर्वक आजन्म और प्रमाणिकता से प्रयत्नरत रहने का संकल्प होता था, के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए इमरजेंसी और स्वतंत्रता आंदोलन में संघ की भूमिका पर प्रकाश डाला।

शौर्य और पराक्रम का प्रतीक अस्त्र-शस्त्र की पूजा सनातन वैदिक परंपरा में आत्म सम्मान एवं धर्म रक्षा के लिए किए जाने के महत्व को साझा स्वयंसेवकों को बीच किया गया, इस मौके पर नगर सह संघचालक अमरनाथ जी द्वारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्थापना का मूल आधार संगठित होकर डॉक्टर हेडगेवार जी के सपने को साकार कर जगतगुरु का देश भारत को विश्व का सिरमौर्य बनाए जाने हेतु संघ के मार्ग का अनुसरण कर मातृभूमि की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व निछावर के भाव का प्रादुर्भाव कर हिंदुत्व के गर्व का एहसास कर आत्मशक्ति व स्वयं के चेतना से राष्ट्र निर्माण में अपने योगदान के जिम्मेदारियों का उद्बोधन में एहसास कराया l

युग को बदलने के में बदलते परिवेश के अनुसार शनै: शनै : स्वयंसेवकों को चलाएंमान रहने की बात बताई, इस पावन अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जिला कार्यवाह रविंद्र कुमार जयसवाल,जिला प्रचारक इंद्रसेन जी नगरकार्यवाह कृष्णदेव एडवोकेट, नगर व्यवस्था प्रमुख सुरेश कुमार सहित दर्जनों स्वयंसेवकगण मौके पर मौजूद रहे l गुरु ध्वज प्रणाम पुष्पाचन उपरान्त नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे — रूपी की राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक प्रार्थना एक स्वर में गाया गया l तदुपरांत शाखा विकीर उपरांत एक-दूसरे का अभिवादन कर पावन पर्व विजयदशमी की शुभकामनाएं दी गई l

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