स्मृति – दद्दा जी (मैथिलीशरण गुप्त) के पुण्य तिथि पर

सोन प्रभात – सुरेश गुप्त ” ग्वालियरी” –
हे कुल गौरव, हे राष्ट्र कवि,
हे वीणा पाणि के नन्दन!
हे राष्ट्र भक्ति के महा नायक,
करते तेरा पूजा वंदन!!
तीन अगस्त वह शुभ दिन था ,
जब चिरगाँव को नाम मिला!
माँ काशी बाई श्री राम चरन घर,
भारत को इक रत्न मिला!
लिख डाले ग्रंथ अनेको फिर,
और राष्ट्र कवि का नाम मिला!
चली लेखनी फिर दद्दा की,
ग्रंथ अनेकों रच डाले!

कर समर्पित राम को रचना,
“साकेत- पंच वटी” कह डाले!
कृष्ण भक्ति में रचना “द्वापर”,
वैष्णव में “विष्णु प्रिया” लिखा!
बौद्ध भक्ति में रची “यशोधरा”,
सिख धर्म में “गुरु कुल” लिखा !!
“काबा और कर्बला” लिखकर,
सभी धर्म पर कमल गही!
“भारत- भारती” राष्ट्र धर्म पर ,
हिन्दू किसान की बात कही!!
हे नारी के गौरव रक्षक,
” उर्मिला” पर भी लिख डाला !
हो “शकुँतला” या “यशोधरा”,
महिमा को मंडित कर डाला !!
थे कवि ,राज नेता,अनुवादक,
थे गाँधी जी के अनुयायी!
राष्ट्र पिता के अनुमोदन पर ,
राष्ट्र कवि पदवी पायी !!
हिन्दी जगत के थे गौरव,
गहोई समाज के प्यारे थे!
अनुज सिया समेत दोनो ही,
सबके आँखो के तारे थे!!
बारह दिसम्बर सन चौसठ को,
छोड़ हमें मझधार गये!!
लेकिन स्वर्णाक्षर में लिख कर,
एक नया इतिहास गये!!
हे गहोई रत्न,गौरव गहोई!
हे गहोई श्री ,शत शत वंदन!
हे भारत माँ के महा सपूत,
चरणो में करते आज नमन !!
– सुरेश गुप्त,ग्वालियरी (गहोई)
विंध्यनगर बैढ़न
8795640541