आस में गुजार दिए 14 वर्ष, नहीं मिला न्याय।

- कोर्ट ने सोनभद्र एसपी को विभागीय जांच कराने का दिया निर्देश, एक माह के भीतर आख्या मांगा
- धारा 173(2) सीआरपीसी की रिपोर्ट देना है अनिवार्य: कोर्ट
- विवेचना के बाद तैयार आरोप पत्र भी न्यायालय में दाखिल कराने को कहा
- मारपीट के मामले में 6 फरवरी को सीजेएम कोर्ट में होगी सुनवाई
सोनभद्र – सोन प्रभात / राजेश पाठक
सोनभद्र। मारपीट के मामले में पीड़ित महिला ने न्याय की आस में 14 वर्ष गुजार दिया, लेकिन न्याय नहीं मिला। सीजेएम सूरज मिश्र ने बुधवार को सुनवाई करते हुए मामले को गम्भीरता से लिया है। उन्होंने सोनभद्र एसपी को विभागीय जांच कराने का निर्देश दिया है। साथ ही एक माह के भीतर आख्या मांगा है। इतना ही नहीं विवेचना के उपरांत तैयार आरोप पत्र को भी न्यायालय में दाखिल कराने का निर्देश दिया है। आगामी 6 फरवरी को मामले की सुनवाई होगी।
बता दें कि राबर्ट्सगंज थाना क्षेत्र के जमगांव गांव निवासिनी अमरावती देवी पत्नी कन्हैया लाल ने राबर्ट्सगंज कोतवाली में दी तहरीर में आरोप लगाया था कि 22 जनवरी 2008 को सुबह 8 बजे गांव के बबलू, गुप्तानाथ व मुन्नी देवी पर मारपीट एवं गाली गलौज देने का आरोप लगाया था। पुलिस ने एनसीआर दर्ज किया था। कोर्ट ने धारा 155(2) सीआरपीसी के प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए 19 अगस्त 2018 को विवेचना करने का आदेश दिया था। लेकिन अभी तक मामले का पता नहीं चल पा रहा है। जब पीड़ित महिला ने अपने अधिवक्ता के जरिए थाने से प्रगति आख्या मांगने के लिए प्रार्थना पत्र दिया तो आख्या में दिया गया कि आरोप पत्र 18 अगस्त 2012 को ही भेज दिया गया है।
पुनः अधिवक्ता प्रेम प्रताप विश्वकर्मा ने प्रगति आख्या के लिए प्रार्थना पत्र दिया। भेजी गई आख्या में अवगत कराया गया है कि तत्कालीन चुर्क चौकी इंचार्ज रहे अशोक मिश्र द्वारा आरोप पत्र को न्यायालय में प्रेषित नहीं किया गया है। क्योंकि अपराध रजिस्टर नम्बर 4 में कोई उल्लेख नहीं है। जबकि किसी प्रकरण के विवेचना उपरांत धारा 173(2) सीआरपीसी के तहत रिपोर्ट प्रस्तुत करना अनिवार्य है।
मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने गंभीर मामला मानते हुए सोनभद्र एसपी को विभागीय जांच कराने का निर्देश दिया है। साथ ही एक माह के भीतर आख्या प्रस्तुत करने को कहा है। इसके अलावा तैयार आरोप पत्र को न्यायालय में दाखिल कराने को कहा है। अगली सुनवाई 6 फरवरी को होगी।