gtag('config', 'UA-178504858-1'); श्रीमद्भागवत गीता स्वाधीनता आंदोलन की सूत्रधार रही है - विंध्य संस्कृति शोध समिति। - सोन प्रभात लाइव
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श्रीमद्भागवत गीता स्वाधीनता आंदोलन की सूत्रधार रही है – विंध्य संस्कृति शोध समिति।

सोनभद्र – सोन प्रभात / वेदव्यास सिंह मौर्य

  • -वर्तमान समय में स्वामी अड़गड़ानंद द्वारा रचित गीता भाष्य यथार्थ गीता पठनीय है।
  • -आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष के अंतर्गत यथार्थ गीता का निशुल्क वितरण किया जा रहा है।


सोनभद्र-आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष के अंतर्गत विंध्य संस्कृति शोध समिति उत्तर प्रदेश ट्रस्ट द्वारा भगवान श्री कृष्ण के मुखारविंद से प्रकट हुई श्रीमद् भागवत गीता का भाष्य परमहंस आश्रम के स्वामी अड़गड़ानंद द्वारा लिखित “यथार्थ गीता” का निशुल्क वितरण किया जा रहा है।
इस पुण्य कार्य में आश्रम से जुड़े डॉ बी सिंह, डॉक्टर कुसुमाकर श्रीवास्तव, गीतकार जगदीश पंथी, पत्रकार पीयूष त्रिपाठी,अरुण चौबे सहित अन्य गीता प्रेमी सहयोग कर रहे हैं।


शोधकर्ता दीपक कुमार केसरवानी के अनुसार-“भारत की स्वाधीनता आंदोलन की अगुवाई करने वाले मोहनदास करमचंद गांधी को उनकी माता कस्तूरबा बाई द्वारा बचपन से ही गीता का ज्ञान दिया गया था जिससे गांधी जी प्रभावित हुए और उनमें नि:स्वार्थ सेवा की भावना जागृत हुई थी।
वे गीता को ‘गीता मैया’ कहा करते थे। बापू एक स्थान पर लिखते हैं-मेरी मां तो बचपन में ही दिवंगत हो गईं थीं। मां के न रहने पर प्यार-दुलार, संसार का ज्ञान और मार्गदर्शन मुझे मिला है गीता मैया से। गीता भाष्य गीता माता की रचना किया।
नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावक: न चैनं क्लेदयन्त्यापो ने शोषयति मारुत:।।
अर्थात-वह आत्मा जिसे शस्त्र काट नहीं सकता, अग्रि जला नहीं सकती, पानी गीला नहीं कर सकता और वायु सुखा नहीं सकती है।


इसी श्लोक को मूल मंत्र मानकर हमारे देश के क्रांतिकारियों, देशभक्तों, बलिदानयो ने फांसी के फंदे को चूम लिया और स्वतंत्रता के बलिवेदी पर शहीद हो गए।गीतारहस्य नामक पुस्तक की रचना लोकमान्य बालगंगाधर तिलक ने माण्डले जेल (बर्मा) में की थी। इसमें उन्होने श्रीमदभगवद्गीता के कर्मयोग की वृहद व्याख्या की।
गीतारहस्य को महज पांच महीने में पेंसिल से ही उन्होंने लिख डाला था।
उनका मानना था कि-“जब देश गुलाम हो, तब आप अपने लोगों से मोक्ष की बात नहीं कर सकते। उन्हें तो कर्म में लगाना होता है। वही तिलक ने किया। उन्होंने
थके हुए गुलाम समाज को जगाने के लिए वह गीता को संजीवनी बनाया।
गीता के श्लोक को मूल मंत्र मानकर स्वाधीनता आंदोलन में भाग लेने वाले देशभक्तों, बलिदानियों,क्रांतिकारियों के बलिदान के बल पर हमें 15 अगस्त 1947 को आजादी प्राप्त हुई।
आजादी के पश्चात देश ने राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक, तकनीकी, सांस्कृतिक, साहित्यिक विकास करते हुए 75 वर्ष का सफरनामा तय किया।
आज हम आजादी के सूत्रधार श्रीमद्भागवत गीता के श्लोक को आजादी का मूल मंत्र मानने वाले बलिदानों के त्याग, तपस्या, के बल पर आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं।

Ashish Kumar Gupta

Ashish Kumar Gupta is an Indian news anchor and journalist, who is the managing director and editor-in-chief of Son Prabhat Web News Service Private Limited Sonbhadra India. In the field of journalism, this journalist, who constantly talks about social interest and public welfare with his pen, is establishing a new dimension in the journalism of the district. Email - Editor@sonprabhat.live

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