लेख – एस०के०गुप्त “प्रखर” – सोनप्रभात
बिहार के माउंटेनमैन दशरथ मांझी का नाम तो हर किसी ने सुना है। जिसने एक हथौड़ा और छैनी से अकेले ही 360 फुट लंबी, 30 फुट चौड़ी और 25 फुट ऊंचे पहाड़ को काट कर 22 सालों के कड़ी मेहनत के बाद सड़क बना डाली थी। ऐसे ही एक और उदाहरण की बात करे तो गया के 70 साल के बुजुर्ग लौंगी भुईयां ने अपनी मेहनत से गांवों के सैकड़ों लोगों की मुश्किलो को हल कर दिया। अपनी 30 साल की कड़ी मेहनत और लगन से पहाड़ को काट कर 5 किलोमीटर लंबी नहर बना डाली. अब पहाड़ पर का बारिश का पानी नहर से होते हुए खेतों में जा रहा है। जिससे तीन गांव के लोगों को फायदा हो रहा है।
बिहार के गया के रहने वाले लौंगी भुईयां ने अपनी कड़ी मेहनत औऱ लगन से वो मिसाल पेश की है।जिसको इतिहास में सदैव याद रखा जाएगा। 30 सालों तक लौंगी भुईयां ने अपनी कड़ी मेहनत से पहाड़ से गिरने वाले बारिश के पानी को इकट्ठा कर गांव तक लाने की ठान ली और वो रोज घर से जंगल में पहुंच कर नहर बनाने में लग गए। कोठीलवा गांव निवासी लौंगी भुईयां अपनी पत्नी बेटे और बहू के साथ रहते हैं ,लौंगी भुईयां ने कहा कि पहले परिवार के लोगों ने उन्हें मना किया, लेकिन उन्होंने किसी की एक ना मानी और नहर खोदने में पूरी जी जान से जुट गए। आपको बता दे कि इलाके में लोग पानी की कमी की वजह से केवल मक्का और चना की खेती किया करते थे। ऐसे में गांव के सारे नौजवान नौकरी की तलाश में गांव से पलायन कर जा रहे थे। ज्यादातर लोग गांव से दूर काम की तलाश में चले गये थे। ऐसे में उनके मन में ख्याल आया कि अगर यहां पर पानी की व्यवस्था हो जाए तो गाँव के लोगों के पलायन को रोका जा सकता है। अपनी लगन और कड़ी मेहनत के बाद 30 साल में नहर बनकर तैयार है, और इस इलाके के तीनो गांव के 3000 लोगों को अब फायदा हो रहा है।
गांव वालों का कहना है, कि जब से होश संभाला है तब से लौंगी भुईयां को घर में कम, जंगल में देखा, वहीं लौंगी भुईयां का कहना है कि अगर सरकार हमे कुछ मदद कर दे हमें खेती के ट्रैक्टर जैसी सुविधा मिल जाए तो हम बंजर पड़ी जमीन को खेती के लिए उपजाऊ बना सकते हैं, जिससे लोगों को काफी मदद मिलेगी। वहीं लौंगी भुईयां के काम से आज हर कोई प्रभावित है। आज उनका नाम देश को कोने-कोने में लिया जा रहा है। हर कोई उनके इस जज्बे को सलाम कर रहा है। जिन्होंने 30 साल में 5 फीट चौड़ी और 3फीट गहरी नहर का निर्माण कर डाला और हजारों लोगों की मुश्किलों को हल कर दिया।
लौंगी भुईयां ने बताया कि मेरी पत्नी,बहू और बेटा सभी लोग इस काम को करने के लिये मना करते थे, क्योंकि इसमें कोई पैसा नहीं मिलता था, सब मुझे पागल कहने लगे थे। लेकिन आज नहर में पानी आने से आज सब मेरे इस काम की तारीफ करते हैं। उन्होंने बताया कि पहले वह मक्का और चना की खेती करते थे। बेटा काम की तलाश में शहर चला गया। गांव के ज्यादातर लोग काम करने दूसरे राज्यों में चले गए। फिर एक दिन में बकरी चरा रहा था सोचा कि अगर गांव में पानी आ जाए तो पलायन रुक सकता है। लोग खेतों में फसल की पैदावार करेंगे। आज नहर बनकर तैयार है, लोग अब इस नहर से फायदा ले रहे है। वहीं जब यह किस्सा आनन्द महिन्द्रा के संज्ञान में आयी तो उन्होंने लौंगी भुईयां को ट्रैक्टर देने का ऐलान किया।
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