संपादकीय – “एक चुनावी परिदृश्य” – सुरेश गुप्त “ग्वालियरी”

बज गया चुनावी बिगुल
सजने लगी है गोटियां
झोपड़ी में जा रहे अब
बांटने को रोटियांं !!– लेख -सुरेश गुप्त “ग्वालियरी” – सह -संपादक /सोनप्रभात विंध्यनगर – सिंगरौली (म०प्र०)
“एक चुनावी परिदृश्य” –
पांच प्रांतों में चुनावी बिगुल बज चुका है। महारथी,रथी अपनेे – अपने सारथी के साथ अनेकों क्षेत्रों में डेरा डालने पहुंचने लगे है। सुपर स्टार , स्टार छांटे जा रहे हैं, तो कही आल राउंडर बॉलर एवं अच्छे विकेट कीपर की मांग है। जहां चुनाव नही है, वहां के नेताओं ने भी चुनावी क्षेत्र में डेरा डालना प्रारंभ कर दिया है। क्यों न डालें… कल इनकी भी बारी है। कोई हाथी पर बैठकर युद्ध क्षेत्र में निकलने की तैयारी कर चुके है, तो कोई साइकिल के टायर ट्यूब को दुरुस्त कर दौड़ाने में लगे है। कमल खिलाने के लिए राष्ट्रवाद की खाद डाली जा रही है तो कही पंजा नारी सम्मान की थाली सजाकर निकली है।
दल बदल का खेल चालू है, जनेऊ ,मुखौटे, टोपी ,झंडा ,डंडा का बाजार गर्म है। सियार, भेडिए जंगल की ओर पलायन करने लगे है, सभी राज नैतिक दल लोक तंत्र के लिए संघर्ष कर रहे है।
चुनाव आयोग के आदेशानुसार चिल्ल पो – पो पर प्रतिबंध है। “शायद इस चुनाव में घर- घर जाकर गरीब की झोपड़ी का अवलोकन कर सके ये नेता गण।”