आज का व्यंग्य: दान एक भर, ढिंढोरा पसेरी भर। (सम्पादकीय)
ओढ़ मुखौटा कर रहे,
काम इस तरह नेक।
चले बांटने बीस जन,
मिलकर केला ऐक!!
सुरेश गुप्त ‘ग्वालियरी’
(सम्पादक मंडल सदस्य-सोनप्रभात)
“अरे भैया ! के मना करत बा , खूब खिचावा फोटो पर एतना त ध्यान रखा सुरक्षा पहिले रखे के बा!!
– एक तरफ कुछ करने का जज्बा दूसरी तरफ प्रचार की ललक ।
होता है ,होता है ;
यह मानवीय कमजोरी है।इसमें आपका कोई दोष नहीं परन्तु ये मौका-ए-दस्तूर किसी जलसे का नहीं बल्कि हम यह युद्ध लड़ने निकले है इस भयानक बीमारी से जिसके लिए समूचा विश्व अपने स्तर पर इसे अंजाम दे रहा है फिर हमारे देश का तो पूछना ही क्या? ऐसे आपात काल में भामा शाह की तिजोरियाँ खुल जाती है,घास की रोटियां तक खाने को तैयार रहते है रण वांकुरे,बच्चे अपनी गुल्लक तोड़ देते है ,माँताएं जेवर तक समर्पित कर देती है।सचमुच बहुत ही अद्भुत है हमारा यह देश ।राष्ट्र भक्ति,अनेकता में एकता,दुश्मन से लड़ने का जज्बा-ये भारत के अलावा और कहीं देखने को नहीं मिलेगा।हम ही जीतेंगे इस वैश्विक महायुद्ध को भी। जब भी कोई संकट आया है ,हमने डटकर मुकाबला किया है, और मिलकर करेंगे भी।
बस एक निवेदन!आप स्वयं सुरक्षित रहिये ,समाजिक दूरी का पालन कीजिये ,मास्क पहनिये,फोटो खिचे या न खिचे आपका इस संकट मे सहयोग आपकी आत्मा को संतुष्टि प्रदान करेगा,आत्मिक आनन्द देगा,देश आपके जज्बे को सलाम करेगा।
जय हिंद!🙏🏻