कला एवं साहित्य
हाँ मैं दीप एक जलाऊँगा- सर्वेश कुमार गुप्त ” प्रखर”
सोनप्रभात – कला एवं साहित्य
हाँ मैं दीप एक जलाऊँगा,
एक दीप विश्वासका ,
एक आशा का ,
एक प्रकाश का ,
एक ज्ञान का ,
एक तम में उजाले का ,
एक भूखो के निवाले का ,
एक बेसहारो के सहारे का ,
एक डूबते के किनारे का |
एक जन-जन की वाणी का ,
एक मानव की नादानी का |
स्नेह मानवता का लाऊँगा,
हाँ !
मैं एक दीया अवश्य जलाऊँगा|
- सर्वेश कुमार गुप्त ” प्रखर”
जौनपुरी
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