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मातृ दिवस पर समर्पित पंक्तियां – सुरेश गुप्त “ग्वालियरी”

सोन प्रभात – मातृ दिवस विशेष
माँ
माँ पर कुछ लिखूँ , मेरी क्या विसात है?
उसने तो खुद लिखी, यह सारी कायनात है!
माँ है तो बलाएँ बुरी, आती नहीँ कभी,
माँ भेजी हुई प्रभु की अनुपम सौगात है!!
रखती जान हथेली पर , तब माँ बनती है,
उसके ही आँचल में तो ममता पलती है !
सहकर दुख औ दर्द, कभी न ताने देती,
हर माँ बस इक मातु जसोदा जैसी लगती है !!– सुरेश गुप्त “ग्वालियरी”
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