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वित्तविहीन शिक्षकों की अनदेखी से योगी हुकूमत पर बड़ा प्रश्नचिन्ह।

  •  –शिक्षक नेताओं ने शिक्षकों को खूब किया गुमराह
  • -अधिकांश शिक्षकों से प्रबंधकों का बुरा बर्ताव
  • -वेतन के अभाव में शिक्षकों में भुखमरी की स्थिति

सोनभद्र/ओबरा
श्याम जी पाठक-सोनप्रभात

ओबरा (सोनभद्र) : मोदी जी की सरकार आपसे बैर नहीं पर योगी जी की सरकार आपकी 2022 में खैर नहीं है। उक्त बातें माध्यमिक शिक्षक संघ के पूर्व जिलाध्यक्ष आचार्य प्रमोद चौबे ने कही है। अपनी बातों के समर्थन में उन्होंने कहा कि जहाँ मोदी जी सरकार की इच्छा जानकर नौकरशाही कदम से कदम मिलाकर चल रही है, वहीं योगी जी सरकार को पूरी तरह से भ्रम में फंसा रखी है। इसके पीछे के खेल में हम नहीं पड़ना चाहते पर तथ्यों को सामने रखकर योगी हुकूमत की जनमानस में बढ़ रही नाराजगी की वजह सार्वजनिक करना देश – प्रदेश दोनों के हित में है।

माध्यमिक शिक्षक संघ पूर्व जिलाध्यक्ष आचार्य प्रमोद चौबे।

पूर्व जिलाध्यक्ष ने कहा कि अन्य दल परिवारवाद में फंसे पड़े हैं। उनपर जनमत का विश्वास नहीं है पर योगी जी सरकार की गतिविधियों में सुधार नहीं हुए तो मजबूर होकर महज इन्हें सत्ता से बेदखल करने के लिए जनता हटा कर किसी और को ले जाएगी।
योगी हुकूमत की भूमिका महज अराजकतत्वों से निपटने में प्रगति पर है पर शिक्षा से जुड़े विषयों में पूरी तरह से विफल हो गई है। प्राथमिक से लेकर विश्वविद्यालयीय, तकनीकी सभी क्षेत्रों में विद्यार्थी, शिक्षक, गैर शैक्षणिक वर्ग बुरी तरह से परेशान हो गए हैं।
2022 में यूपी से योगी जी के सरकार के साफ होने के कारणों के बारे में शिक्षक नेता ने कहा कि माध्यमिक स्तर की शिक्षा व्यवस्था में 85 फीसद से भी अधिक वित्तविहीन शिक्षकों की भागीदारी है। उन्हें अखिलेश सरकार ने भीख सरीखा प्रतिमाह एक हजार रुपये दिए थे। योगी हुकूमत आते ही उसे बंद कर दिया गया। हर रोज पाठ पढ़ाने वाले शिक्षकों को योगी हुकूमत ने तरह-तरह के नियमों के पाठ पढ़ाने शुरू कर दिए हैं। 2022 में जनता भी पाठ पढ़ाएगी। एक हजार के मानदेय देने वाली अखिलेश सरकार की आज यूपी के सत्ता में बैठे लोगों ने खूब आलोचना की थी और भरोसा दिलाया था कि हमारी सरकार बनेगी तो हम सम्मान जनक समाधान करेंगे। इनके समाधान का अभी तक कोई नतीजा सामने नहीं हैं। इतना ही नहीं शिक्षा के क्षेत्र के अधिकांश विधायकों ने खूब झूठ बोला। सरकार ने कुछ किया नहीं पर इन लोगों ने शिक्षकों को खूब भरोसा दिया और उसकी वाह-वाही भी ली है। बच्चे के जन्म के पहले ही अधिकाँश शिक्षक नेताओं ने खूब सोहर गाया और खुद के स्वार्थ में अपनी निष्ठा भी बदली। सरकार सत्रवार वित्तविहीन कॉलेजों को सवित्त भी करती और सभी को सम्मान जनक मानदेय भी देती तो कुछ बात बनती।


पूर्व जिलाध्यक्ष ने कहा कि पूरे देश में महज सात प्रान्तों में ही विधान परिषद है। यूपी में भी है पर उसकी गतिविधि महज सरकार पर बोझ बनने से अधिक नहीं रह गई है। चुनाव के वक्त बेशर्मी की हद पार करके वित्तविहीनों के नाम पर शिक्षकों से वोट मांगने आएंगे और फिर पूरी ताकत लगाकर सवित्त होने से रोकेंगे। शिक्षक नेता विद्यालयों के अधिकांश प्रबंधक भी है। अपवाद स्वरूप छोड़कर अधिकांश प्रबन्धक शिक्षकों के साथ नौकर जैसा व्यवहार करते हैं। जब वे सवित्त होंगे तो इस तरह के प्रबंधकों को नौकर नहीं मिलेंगे। अभी भी योगी सरकार को मौका है कि वित्त विहीन शिक्षकों को सवित्त करके शिक्षा व्यवस्था में सुधार कर सकती है और जनता को अपने पक्ष में भी कर सकती है पर इसकी उम्मीद कम है, वहीं 2022 में योगी हुकूमत का अंत भी निश्चित है।

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