मर कर भी अपनी आंखो का दान देकर अमर हो गए जौनपुर के अनिल कुमार साहू, बने प्रेरणास्रोत।

सोन प्रभात – सोशल डेस्क/ आशीष गुप्ता
जौनपुर। बड़ी मस्जिद के रहने वाले श्री अनिल साहू जी का दोपहर करीब 12:00 बजे बीएचयू में बुधवार सुबह हृदय गति रुकने से मौत हो गई। उनकी पत्नी ने उनके नेत्र दान करने की इच्छा जताई। वही डॉक्टरों ने शोकाकुल परिवार को ढांढस बंधाते हुए उनके द्वारा लिए गए निर्णय की सराहना किया।

समाज को देने की परंपरा में बुधवार को एक और ऐतिहासिक दान सामने आया जब जौनपुर के रहने वाले अनिल कुमार साहू ने नेत्रदान दिया। अब अनिल जी की आंख से किसी दृष्टिहीन को दुनिया देखने का मौका मिल जाएगा। भले ही सरकार और सामाजिक संगठन लोगों को मृत्यु उपरांत नेत्रदान के लिए जागरूक करते हैं लेकिन आज भी इस महादान को करने से लोग हिचकिचाते हैं। परिवार के किसी सदस्य के खोने के गम को दरकिनार कर महादान कराने वाले ऐसे मामले बहुत कम ही देखने को मिलते हैं जब परिजन नेत्रदान की सहमति देते हैं। ऐसे में अपने पति को खोने का गम किसी भी के लिए दुनिया का सबसे बड़ा दुख है। पत्नी सविता देवी ने मौत के बाद भी साहस का काम किया जो समाज को एक नया संदेश और प्रेरणा देता रहेगा।

समाज में ऐसे कई लोग हैं जो जन्म से दृष्टिहीन होते हैं या किसी हादसे में आंखों की रोशनी चली जाती है। ऐसे लोगों को नेत्रदान करने वालों के भरोसे ही रहना होता है जो मृत्यु के बाद ही हो सकता है।
एक कार्निया से दो लोगों में हो सकता है प्रत्यारोपण अब एक व्यक्ति नेत्रदान (कार्निया) करके चार लोगों की जिंदगी में रोशनी लौटा सकता है। अभी तक एक कार्निया एक ही व्यक्ति में प्रत्यारोपित किया जाता था।

डॉक्टरो ने बताया कि कॉर्निया में पांच परतें होती हैं। इनमें इपीथीलियम, बोमेन मैम्बरेन, स्टोरमा, डिसिमेंट मैम्बरेन और इंडोथीलियम परत होती है। जिन मरीजों में अपर लेयर डिजीज होती है उनमें डीप एंटीरियर लैमेलर केरेटोप्लास्टी (डीएएलके) करते हैं और लोअर लेयर डिजीज में डेस्केमेट स्ट्रीपिंग एंडोथेलियल केरटोप्लास्टी (डीएसईके) की जाती है। ऐसे में कार्निया की परत को दो हिस्से में बांट लिया जाता है। कॉर्निया की सबसे भीतरी लेयर इंडोथीलियम होती है। अगर केवल इस लेयर को किसी कारणवश क्षति पहुंचती है, तो पूरी कॉर्निया का प्रत्यारोपण किया जाता है। यह आंखों की जांच के दौरान पता चलता है कि कौन सी परत खराब है।
अनिल कुमार साहू ऐसे लोग समाज और लोगो को मरते-मरते एक प्रेरणा देते हुए ईश्वर के चरणों में विलीन हो जाते हैं।