दुद्धी लौआ नदी के पत्थरों में भगवान की आकृति वाले पत्थर को देखने उमड़ी भीड़,सपने में दिखा था स्थान।

- स्वप्न में आदिवासी महिला को मिली दो पत्थरों में भगवान के रूप आराध्य , अपने देवता को गाजे-बाजे के साथ लेने पहुंची सेविका।
- स्वप्न के मुताबिक चट्टानों के बीच से निकले हनुमान जी व सुग्रीव के चेहरे की आकृति वाले पत्थर का विधि विधान से किया पूजन। दो दिन लगे स्थान तक पहुंचने में।
दुद्धी – सोनभद्र / जितेंद्र चंद्रवंशी – सोन प्रभात
दुद्धी/ सोनभद्र| सनातन संस्कृति अनुसार पृथ्वी के कण-कण रज- रज में ईश्वर का वास है कहीं आस्था ईश्वर है तो कहीं रूढ़िवादी परंपरा। उसी क्रम में दुद्धी ब्लॉक क्षेत्र के अंतर्गत मल्देवा गांव के करमडाड़ टोला में स्थित प्राथमिक विद्यालय के ठीक बगल से गुजरी लौवा नदी में चट्टानों के बीच एक शीला खण्ड को आज एक आदिवासी महिला द्वारा विधि विधान से पूजन अर्चन किया जा रहा था।

यह खबर सुनते ही देखते ही देखते हजारों ग्रामीणों की भीड़ उमड़ पड़ी|इसके बाद गाजे बाजे के साथ उक्त शीला खण्ड को अपने गांव बभनी थाना क्षेत्र के घघरी बाघरपिण्डा पहाड़ी पर ले जाने की तैयारियों में जुटी बिंदु देवी विवाहिता ने बताया कि उसे स्वप्न में हनुमान जी आये थे और बताया था कि मैं उक्त चट्टानों के बीच दबा हुआ हूँ तुम मुझे वहां से ले आकर यहां घघरी में मंदिर बनवाओ तुम्हारी सभी मनोकामना पूर्ण होगी| और लोगों का कल्याण होगा साथ ही साथ लोगों की समस्याओं का भी निवारण होगा विवाहिता बिंदु गोंड पत्नी राजपति निवासी घघरी पिछले दो दिनों से उक्त स्वप्न में आये स्थल पर उस पत्थर को ढूंढ रही थी कि गुरुवार की दोपहर बाद उसे सफलता मिली और उसने दो चट्टानों के बीच से स्वप्न में आये पत्थर को ढूंढ निकाला|

आज शुक्रवार की सुबह विधि विधान से पूजन अर्चन कर के गाजे बाजे के साथ अपने घर ले जाने की तैयारी कर रही है, इस दौरान महिला के आस्था को देखने के लिए हजारों श्रद्धालुओ की भीड़ उमड़ी रही|उधर मल्देवा गांव के प्राथमिक विद्यालय में पढ़ा रहे अनुदेशक निरंजन व स्थानीय महिलाओं ने बताया कि एक बभनी की आदिवासी महिला आयी है जो नदी में स्थित एक पत्थर का पूजा अर्चन कर रही है ,उस आस्था के स्वरूप पत्थर को देखने हजारों ग्रामीणों की भीड़ उमड़ी है | बताया जा रहा कि उक्त विवाहिता के हित नात उस गांव में हैं जिनकी मदद से उसने स्वप्न के मुताबिक पत्थर को ढूंढ निकाला| महिला के कथन अनुसार भगवान को ले जाते वक्त वर्षा होगी जो सत्य साबित हुआ। जो भी हो आस्था को तर्क की कसौटी पर कसना आसान नहीं होता । अपने आराध्य को ले जाते वक्त आदिवासी महिला ईश्वर का प्रतिनिधि खुद को मान रहीं थी ।
