पंडित दीनदयाल की जयंती धूमधाम से मनाया गया।
दुद्धी – सोनभद्र / जितेंद्र चंद्रवंशी – सोन प्रभात
दुद्धी सोंनभद्र- पण्डित दीनदयाल उपाध्याय जी का जन्म 25 सितम्बर 1916 को मथुरा जिले के नगला चंद्रभान ग्राम में हुआ था।इनकी माता का नाम रामप्यारी देवी व पिता का नाम भगवती प्रसाद उपाध्याय था। इनके पिता सहायक स्टेशन मास्टर थे।रेल्वे की नौकरी होने के कारण अक्सर यह बाहर ही रहते थे। दो वर्ष बाद इनके भाई का जन्म हुआ जिसका नाम शिवदयाल रखा गया। अभी ये 3 वर्ष के भी नही हुए थे कि इनके पिता का देहान्त हो गया। पति की मृत्यु से इनकी माता बीमार रहने लगी। उन्हें क्षय रोग हो गया। 8 अगस्त 1924 को उनका देहावसान हो गया। उस समय इनकी उम्र 7 वर्ष भी नहीं हुईं थीं।1926 में इनके नाना चुन्नीलाल जी का भी निधन हो गया। जब ये 15 वर्ष के थे तब इनकी देखरेख करने वाली मामी का भी निधन हो गया।18 नवंबर 1934 को यानि 18 वर्ष की अवस्था मे इनका भाई शिवदयाल भी इनका साथ छोड़कर सदा के लिए चला गया। 1935 में इनकी नानी भी स्वर्ग सिधार गई।
19 वर्ष की अवस्था तक दीनदयाल ने मृत्यु से गहन साक्षात्कार कर लिया था। 10 वी व बारहवीं की बोर्ड परीक्षा में इन्होंने प्रथम स्थान प्राप्त किया। 1939 में इन्होंने बीए की परीक्षा प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण किया ।एम ए की परीक्षा का प्रीवियस इन्होंने पुनः प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण किया लेकिन फाइनल की परीक्षा नही दे सके क्योंकि उस समय इनकी बहन रामादेवी का निधन हो गया जिसने इनकी आत्मा को झकझोर कर रख दिया।। उक्त बातें भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता डीसीएफ चेयरमैन सुरेन्द्र अग्रहरि ने शिबाला मंदिर में बूथपर आयोजित पण्डित दीनदयाल उपाध्याय जी के 106 वी जयन्ती के अवसर पर कही।