लाखों रुपए की दवाइयां जलानें की जांच में लीपापोती के आसार, जांच कर्ता नौ बजे रात को पहुंचे।

सोनभद्र,सोनप्रभात,-वेदव्यास सिंह मौर्य

सोनभद्र जिले के नक्सल प्रभावित क्षेत्र विकास खण्ड नगवां के सीएचसी वैनी में गरीबों को दी जाने वाली लाखों रुपए की दवाएं जलाने के मामले में लीपापोती के आसार लग रहे हैं। जिलाधिकारी श्री चन्द्र विजय सिंह ने स्वत संज्ञान लेकर रिपोर्ट तलब कर जांच के लिए कमेटी गठित कर पूरी रिपोर्ट मांगी थी लेकिन जांच कर्ता कुछ लोग तो पांच से छः बजे सायं काल पहुंचें और मुख्य जांच कर्ता लगभग नौ बजे रात को।सुत्रों के अनुसार आयरन और कैल्शियम की गोलियां जलाए जाने की चर्चा जांच कर्ता कर रहे थे।जब आयरन और कैल्शियम की गोलियां जलाई गई तो यह गोलियां कैसे बचीं। नक्सल प्रभावित क्षेत्र में तमाम गरीब आदिवासी कूपोषण के शिकार हैं। तमाम महिलाएं खून के कमी से असमय मृत्यु की शिकार हो रहीं हैं।यह दवाएं शनिवार को ही जलाई गई थीं प्रेस वालों की निगाह सोमवार को पड़ी।जली हुई दवाओं में स्पष्ट देखा जा रहा है कि सीरप और अन्य दवाएं भी हैं। जिसमें लीपापोती करने की भरपूर कोशिश हो रही है। सीएचसी नगवां वैनी 30 बेड का अस्पताल है लेकिन यहां नातो डिलिवरी कराई जाती नहीं शल्य क्रिया होता शायद ही कभी किसी मरीज को उपचार हेतु भर्ती किया जाता है। कोई भी गम्भीर रूप से बीमार मरीज जाता है तो उसे जिला अस्पताल के लिए रेफर कर दिया जाता है। आखिर यहां दवाएं कहां जाती हैं जब बाहर की दवाएं लाकर गरीब अपना ईलाज कराते हैं।

सरकार के द्वारा मंहगी से मंहगी दवाएं टैबलेट, कैप्सूल, इंजेक्शन सीरप आदि दिए जाते हैं लेकिन गरीबों तक नहीं पहुंचते। यही कारण है कि अपनी कमियों को छिपाने के लिए यह कृत्य किया गया है। इससे बहुत छोटा तियरां अस्पताल है जहां कम स्टाप हैं लेकिन नगवां के लोग डिलिवरी और समुचित इलाज के लिए वहां जाते हैं।वैनी में तो कोई भी डाक्टर रात्रि विश्राम नहीं करते। अधिक डाक्टर होने के वावजूद भी कब कौन डाक्टर आते हैं किसी को पता नहीं चलता। यहां के जनप्रतिनिधियों को इससे कोई लेना देना नहीं है।वे सिर्फ भोली भाली जनता के साथ फोटो खिंचवाने में मस्त हैं। उनकी समस्याओं से कोई लेना देना नहीं है। बहरहाल नगवां विकास खण्ड के लोगों की निगाहें जिलाधिकारी महोदय पर टिकी हुई हैं। क्या कार्रवाई होती है जाननें को लोग ब्याकुल हैं।