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विश्व धरोहर को उचित  सरक्षण के लिए पर्यटन विभाग और मुख्यमंत्री से करेंगे वार्ता

स्लेटी पत्थरों  को देखने दुद्धी विधायक पहुंचे मुर्धवा नाला

महा कौशल  समुद्र के तलछटी से हुआ स्लेटी पत्थरो का निर्माण

म्योरपुर/पंकज सिंह

जिले के म्योरपुर ब्लॉक के मुर्धवा नाला और ग्राम पंचायत रनटोला के जमीतिहवा नाला के किनारे पहाड़ियों को 180  करोड़ वर्ष पूर्व होने और इस तरह के अध्ययन युक्त चट्टानों को अन्यत्र कहीं नहीं होने की भू वैज्ञानिकों की पुष्टि के बाद लोगो की उत्सुकता भी इन चट्टानों को देखने के लिए बढ़ने लगी है।शुक्रवार को दुद्धी विधायक राम दुलार गोंड प्रख्यात पर्यावरण कार्यकर्ता  जगत नारायण विश्वकर्मा ,क्षेत्र पंचायत सदस्य अशोक मौर्या  दीपक अग्रहरीआदि ने , मुर्धवा नाला पहुंच कर

180 करोड़ वर्ष से भी पहले की स्लेटी चट्टानों को देखा और खुशी जाहिर करते हुए कहा  कि यह हमारे जनपद के लिए गर्व और खुशी की बात है कि इस तरह के अनमोल और विश्व भर के देशों के भू वैज्ञानिकों और शोध छात्रों के लिए   दोनो स्थान  अब शोध केंद्र बनेंगे।विधायक श्री गोंड ने कहा कि इसके सरक्षण और पर्यटन के लिए पर्यटन विभाग और मुख्यमंत्री को मामले की जानकारी  देंगे।वही प्रभागीय वनाधिकारी मनमोहन मिश्र ने भी सरक्षण की दिशा में स्लेटी चट्टानों से जुड़ा एक बोर्ड शनिवार को लगाने की बात कही है।वही बीएचयू के वरिष्ठ भू

वैज्ञानिक और इस क्षेत्र में पिछले तीन दशक से चट्टानों पर  शोध करने वाले प्रो वैभव श्रीवास्तव  अथक प्रयास और तीस वर्षों के शोध से यह सफलता मिली है।।उन्होंने बताया की जबलपुर से  झारखंड सीमा  से आगे तक  यहां महा कौशल नामका समुंद्र था।उसी के तलछटी से इन पत्थरों का निर्माण हुआ ।इस दौरान पृथ्वी  चार बार उथल पुथल हुई।इन चट्टानों में इसके प्रमाण छिपे है।जो अन्यत्र कहीं नहीं देखे गए है ।

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