gtag('config', 'UA-178504858-1'); बेरोजगारी के विरुद्ध एकजुट हुए युवा संगठन - सोन प्रभात लाइव
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बेरोजगारी के विरुद्ध एकजुट हुए युवा संगठन

राष्ट्रीय स्तर पर रोजगार अधिकार अभियान का आगाज

म्योरपुर/पंकज सिंह


गांधी शांति प्रतिष्ठान, नई दिल्ली में कल 7 फरवरी 2023 को तमाम युवा संगठनों द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर रोजगार अधिकार अभियान संचालित करने का निर्णय हुआ है। युवा संगठनों की मीटिंग में हुए निर्णयों के बाबत जारी प्रेस वक्तव्य में बताया गया कि युवा हल्ला बोल, युवा मंच, कर्नाटक विद्यार्थी संगठन, एआईडीवाईओ, देश की बात, युवा भारत आदि संगठनों से जुड़े उत्तर प्रदेश, दिल्ली, कर्नाटक, बिहार, झारखंड, राजस्थान, हरियाणा, महाराष्ट्र, पं. बंगाल आदि राज्यों के युवा प्रतिनिधि शामिल हुए। राष्ट्रीय स्तर पर रोजगार अधिकार अभियान के संचालन के लिए नौ सदस्यीय कोआर्डिनेशन कमेटी गठित की गई। इसमें युवा हल्ला बोल के अनुपम संयोजक, युवा मंच के राजेश सचान और कर्नाटक विद्यार्थी संगठन के सरोवर को सह संयोजक चुना गया।


सोनभद्र से युवा मंच जिलाध्यक्ष रूबी सिंह गोंड व गुंजा गोंड दिल्ली में युवा संगठनों की मीटिंग में शामिल रहीं और मीटिंग में जनपद की आदिवासियों छात्राओं के उच्च शिक्षा से वंचित होने का प्रमुख तौर पर उठाया। बताया कि आदिवासी बाहुल्य व पिछड़ा जनपद होने की वजह से शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार की समस्या बेहद गंभीर है। रोजगार की समस्या इतनी विकराल है कि बड़ें पैमाने पर लड़कियां भी बेहद कम वेतनमान पर काम करने अन्य राज्यों में जा रही हैं।
युवा संगठनों द्वारा सर्वसम्मति से पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि आज बेरोजगारी की समस्या चिंताजनक स्तर पर है लेकिन सरकार इसके समाधान को लेकर कतई गंभीर नहीं है और विपक्षी दलों के पास भी इसके हल के लिए सुस्पष्ट विचार नहीं हैं। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने भी राज्य के नीति निर्देशक तत्व और अनुच्छेद 21 की व्याख्या में नागरिकों के गरिमापूर्ण जीवन का अधिकार सुनिश्चित करने की बात की है।

आज बहुतायत आबादी बेरोजगार है जो कि लोगों के अपमानजनक/तिरस्कार पूर्ण जीवन का मुख्य स्त्रोत है। ऐसे में राज्य का यह दायित्व है कि नागरिकों के गरिमापूर्ण जीवन के लिए आजीविका सुनिश्चित करे। मांग की गई कि रोजगार को मौलिक अधिकार बनाया जाए, जब तक रोजगार न मिले तब तक बेरोजगारी भत्ता दिया जाए। राज्यों व केंद्र में सरकारी व सार्वजनिक क्षेत्र में रिक्त पड़े तकरीबन एक करोड़ पदों को पारदर्शिता के साथ समयबद्ध भरने की सरकार घोषणा करे । नियुक्तियों में कांट्रेक्ट सिस्टम को खत्म किया जाए और किसी भी सेक्टर में न्यूनतम वेतनमान 25 हजार से कम न रखा जाए। रोजगार के प्रश्न और शिक्षा के प्रश्न पर सरकार छात्रों को शांतिपूर्ण आंदोलन की इजाजत दे और छात्रों-नौजवानों से संवाद करने, शांतिपूर्ण आंदोलन करने में वह हस्तक्षेप न करे।

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