41 वां साहित्यकार सम्मेलन के अंतर्राष्ट्रीय मंच पर डा अम्बेडकर राष्ट्रीय फेलोशिप सम्मान 2025 से सम्मानित दुद्धी के मुहम्मद इसहाक खान हुए

दुद्धी सोनभद्र/  जितेन्द्र कुमार चन्द्रवंशी – ब्यूरो चीफ सोनभद्र

दुद्धी सोनभद्र के रहने वाले जाने-माने मीडिया कर्मी,कवि साहित्यकार, समाजसेवी और पर्यावरण चिंतक मुहम्मद इसहाक खान को भारतीय दलित साहित्य अकादमी की ओर से आयोजित 41 वां अकादमी साहित्यिकार सम्मेलन के अंतर्राष्ट्रीय मंच पर डॉक्टर भीमराव अंबेडकर राष्ट्रीय फेलोशिप 2025 से सम्मानित किया गया । यह प्रतिष्ठित सम्मान उन्हें गवर्नमेंट मीडिया में रहते हुए दलित आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में स्वास्थ्य,शिक्षा, पर्यावरण चिंतन और आपसी सौहार्द के साथ जन जागरूकता और राष्ट्र निर्माण के क्षेत्र में उचित मार्गदर्शन के लिए प्रदान किया गया । सम्मेलन विगत 12 व 13 दिसंबर को पंचशील आश्रम झड़ौदा बुराड़ी दिल्ली में आयोजित किया गया था , मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित थे डॉक्टर सत्यनारायण जटिया पूर्व सांसद राज्यसभा और पूर्व केंद्रीय मंत्री समाज कल्याण भारत सरकार , श्री रामजी लाल सुमन सांसद राज्यसभा पूर्व केंद्रीय मंत्री , श्री निरंजन बीशी सांसद राज्यसभा, और श्री पी एल पूनिया पूर्व सांसद राज्यसभा।
समारोह की अध्यक्षता संघप्रिय गौतम पूर्व केंद्रीय मंत्री भारत सरकार और एम एल रंगा पूर्व स्वास्थ्य मंत्री हरियाणा ने की.

देश विदेश से आए प्रतिनिधियों के बीच सर्व प्रथम डॉ अम्बेडकर इंटर नेशनल अवार्ड 2025 श्री भद्रा प्रसाद नेपाल अध्यक्ष यूनाइटेड नेपाल लीगल सर्विसेज काठमांडू को दिया गया। इसी अंतर्राष्ट्रीय मंच से डा अम्बेडकर साहित्य श्री अवार्ड, डॉ अम्बेडकर कलाश्री, भगवान बुद्ध नेशनल अवार्ड,लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल अवार्ड, शांति दूत पं जवाहरलाल नेहरू नेशनल अवार्ड, वीरांगना सावित्रीबाई फूले नेशनल अवार्ड और महात्मा ज्योतिबा फूले नेशनल अवार्ड वितरित किए गए। सबसे अधिक संख्या देश भर से आए विभिन्न विधाओं में कार्यशील निमंत्रित प्रतिभागियों के लिए डॉ अम्बेडकर राष्ट्रीय फेलोशिप अवार्ड 2025 की रही।
“ग्राम गौरव संस्कृति संस्कारी समूह ट्रस्ट दुद्धी, सोनभद्र के माध्यम से मु . इसहाक खान समाज के वंचित दलित पिछड़ो, साथ ही नदियों, विशालकाय चट्टानों,पहाड़ों , प्राकृतिक भूभागों के संदर्भ मे पर्यावरण संरक्षण को लेकर अपनी चिंता जाहिर करते रहे हैं। इन्होंने अपने कार्यक्रमों के जरिए सामुदायिक सहयोग और सद्भाव के माध्यम से सामाजिक एकता और सद्भावना की जिम्मेदारी भी बखूबी निभाने की कोशिश की है। दुद्धी परिक्षेत्र की साहित्यिक अभिरुचि एवं लेखकीय उसरता को दूर करने की कड़ी में पद्मश्री डॉ मोहम्मद हनीफ खान शास्त्री और डॉ लवकुश प्रजापति के बाद क्षेत्र की यह अगली साहित्यिक – सांस्कृतिक कामयाबी है। इस सम्मान हेतु जब अकादमी की ओर से जानकारी जुटाई जा रही थी तब क्षेत्र के वरिष्ठ चिकित्सक और जाने-माने समाजसेवी,व साहित्यकार डॉ लवकुश प्रजापति ने पुरजोर समर्थन किया था। परिणाम स्वरूप इसहाक खान चयनित किए गए। “दुद्धी परिक्षेत्र” छत्तीसगढ़ ,झारखंड और मध्यप्रदेश सीमांत का प्रतिनिधित्व करता है। इस क्षेत्र की साहित्यिक सामाजिक और सांस्कृतिक प्रतिनिधि के रूप में डॉ लवकुश प्रजापति पहले से अपनी छाप छोड़ चुके हैं।
इस अवसर पर मुहम्मद इसहाक खान ने कहा ” मीडिया में नौकरी की जिम्मेदारी निभाते हुए अपने अवकाश के अवसरों पर अपनी अल्प बचत के माध्यम से गांव में आ कर कार्यक्रम का आयोजन करते रहने से गांव के लोगों से जुड़ाव व अपना पन महसूस होता है। मेरी दीली इच्छा है कि डैनी पहाड़ी एक प्राकृतिक पर्यटक स्थल बनें,कनहर बांध की नहरों के जरिए ठेमा और लौवा नदी सदा सलीला रहें। क्षेत्र में साहित्यिक सामाजिक सरोकारों की अधिकता रहे, नगर के मुख्य मार्ग पर स्वतंत्रता सेनानियों के लिए स्मृति स्थल की स्थापना हो और आपसी सांप्रदायिक सौहार्द बना रहे। इस सम्मान के बाद दिल्ली की अन्य संस्थाओं से भी सम्मान का सिलसिला चल पड़ा है। जैसे टोकियो जापान की हिंदी सेवी संस्था, हिंदी की गूंज, हिंदी साहित्य संस्थान दिल्ली, ट्रू मीडिया सम्मान,हिंदी अकादमी दिल्ली,शब्द सृजन संस्था दिल्ली, क्रांतिकारी वंशज सम्मान शाहजहांपुर आदि।
आगे उन्होंने कहा ” यह सम्मान केवल मेरा नहीं बल्कि मेरे परिवार, मार्गदर्शकों सहयोगियों और उन सभी समाजसेवियों का भी है जिन्होंने इस आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में मेरी सामाजिक यात्रा में सदैव मेरा मार्गदर्शन और सहयोग किया है विशेष रूप से मैं डा लवकुश चाचा का आभारी हूं।
मेरा उद्देश्य सदैव समाज के हर वर्ग तक जागरूकता का महत्व पहुंचाना और राष्ट्र निर्माण को सशक्त बनाना रहा है। मैं भारतीय दलित साहित्य अकादमी का आभार व्यक्त करता हूं, जिन्होंने मेरे प्रयासों को राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दी है। यह सम्मान मुझे और अधिक निष्ठा , समर्पण व उत्साह के साथ समाज सेवा राष्ट्र सेवा पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सक्रिय रहने की प्रेरणा देगा।

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