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काव्य रंग : “लूटो खाओ मौज मनाओ बढ़िया है…” – कवि यथार्थ विष्णु

काव्य रंग – सोन प्रभात / संकलन – आशीष गुप्ता
लूटो खाओ मौज मनाओ बढ़िया है
जो भी टोके यार डराओ बढ़िया है
हाँ अहसान किये मुझ पर आभारी हूँ
तुम कहकर अहसान जताओ बढ़िया है
जिसके कारण हाल हमारा है ऐसा
वह कहते है और सुनाओ? बढ़िया है
पाँच किलो राशन पाकर हम हैं जिंदा
गद्दी पाकर तुम बिसराओ बढ़िया है
सत्ताधीशी तुमको गर रखनी क़ायम
हिन्दू मुस्लिम और लड़ाओ बढ़िया है
तेल नमक आटा डाटा सब कुछ मँहगा
आग के ऊपर आग लगाओ बढ़िया है
माल्या नीरव मेहुल सारे हैं गायब
निर्बल को सम्मन भिजवाओ बढ़िया है
सब्जी वाले अंकल का दस मत देना
मॉल में पूरी जेब लुटाओ बढ़िया है
घर में बीबी इतनी सुंदर है फिर भी
बाहर तुम महबूब बनाओ बढ़िया है।
© कवि यथार्थ विष्णु – म्योरपुर , सोनभद्र