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सोनभद्र के निर्माण खण्ड में अधिशासी अभियंता का अतिरिक्त चार्ज हटाया गया

DM, सोनभद्र ने वीडियो-कांफ्रेसिंग में की थी शिकायत

20 मई को मुख्य अभियंता का आदेश 24 मई को हुआ प्रभावी : 3 दिन विलंब क्यों हुआ?

मिर्जापुर। मुख्यमंत्री की टॉप प्राथमिकता के तहत ‘मल्टी परपज हब’ निर्माण के संबन्ध में बुलाए जाने के बावजूद न उपस्थित होने पर सोनभद्र के DM की शिकायतों को शासन ने गंभीरता से लिया और त्वरित आदेश के क्रम में निर्माण खण्ड, सोनभद्र के अतिरिक्त कार्यभार से मिर्जापुर के अधिशासी अभियंता श्री देवपाल को हटा दिया गया है। अब निर्माण खण्ड-2, सोनभद्र के अधिशासी अभियंता श्री गोविंद यादव को अतिरिक्त कार्यभार प्रदान किया गया है।

DM की शिकायत पर गवर्नमेंट गंभीर, मुख्य अभियंता ने नया आदेश जारी किया

शासन द्वारा प्रदेश के 14 जिलों में मल्टीपरपज हब निर्माण का निर्णय लिया गया है। इसके तहत सोनभद्र जनपद भी शामिल है। इस मल्टीपरपज हब के लिए तकरीबन 100 एकड़ तक की भूमि एक्वायर कर उसमें स्कूल, कालेज, अस्पताल, मॉल, व्यावसायिक काम्प्लेक्स, पार्क आदि बनना है। यह प्रोजेक्ट उन जिलों में लागू किया जा रहा है जो किसी अन्य प्रदेश की सीमा से सम्बद्ध हैं । उद्देश्य है कि गैर प्रदेश से आने वालों को एक ही स्थल पर सारी सुविधाएं मिल जाएं।

DM की शिकायत

इस संबन्ध में DM, सोनभद्र को अधिशासी अभियंता की प्रायः अनुपलब्धता से दिक्कत आ रही थी। अभी तक जिस स्थल को हब के लिए प्रथम दृष्टया देखा गया था, वह भारी उबड़-खाबड़ वाली जमीन है। इसमें लागत भी अधिक आएगी। DM इस निर्माण में सक्रिय थे लेकिन अधिशासी अभियंता द्वारा अपेक्षित सहयोग न किए जाने पर DM ने 20 मई को मुख्य अभियंता को पत्र भी लिखा जिस पर मुख्य अभियंता ने उसी दिन निर्माण खण्ड-2 के अधिशासी अभियंता श्री यादव को कार्यभार ग्रहण करने का आदेश दिया लेकिन 23 मई तक आदेश प्रभावी न होने पर मुख्य अभियंता को सोनभद्र जाना पड़ा और तत्काल आदेश लागू करने का निर्देश पुनः देना पड़ा। इस सख्ती के बाद 24 मई को पूर्वाह्न से चार्ज का आदान-प्रदान शुरू हो सका।

तीन दिन बिलंब क्यों?

अब यह भी देखना जरूरी है कि 20 से 23 मई तक का समय यूं ही क्यों गंवाया गया? यदि इन दिनों कोई विशेष पत्रावलियों का निस्तारण हुआ है तो उस पर भी गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए।

प्रसंगत:

उल्लेखनीय है कि पिछले वर्षों में उत्तर प्रदेश के लोक निर्माण विभाग के 8 अधिशासी अभियंताओं को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी गई थी, इसमें एक मिर्जापुर में तैनात अधिशासी अभियंता श्री देवपाल भी थे, जिन्हें अनिवार्य सेवा-निवृत्त किया गया था और वे उच्च न्यायालय की शरण मे जाकर स्थगन आदेश से कई महीने बाद पुनः सेवा में आए थे। उसी दौरान उन्हें ही मिर्जापुर के अलावा सोनभद्र का भी अतिरिक्त चार्ज तत्कालीन मुख्य अभियंता ने दिया था। इस अतिरिक्त चार्ज पर विभाग के तमाम अधिकारी आश्चर्यचकित भी हुए थे। अब जिला प्रशासन सोनभद्र ने महसूस किया कि 80 किमी दूर बैठे अधिशासी अभियंता के चलते कार्य प्रभावित हो रहा है। वीडियो कांफ्रेसिंग में भी यह बात उठी थी, जिस पर उक्त बदलाव किया गया है।

सुर्खियों में विभाग

इसी बीच विभाग में आन लाइन टेंडर की स्वीकृति के बाद ऑफ लाइन एक ठीकेदार के कुछ कागज़ात टेंडर में शामिल किए जाने तथा वित्तीय अधिकारी की सहमति के बगैर भुगतान का मामला इन दिनों शिकायतों के क्रम में उच्च स्तर पर सामने आ गया है। इस प्रकरण पर भी लोगों की नजर लगी है। स्वतः मुख्यमंत्री ने 10 लाख तक ही ऑफ-लाईन टेंडर की अनुमति दी है लेकिन करोड़ों के काम में ऑफ़ लाईन किसी भी तरह के टेक्निकल-विड में मदद की अनुमति नहीं है। ऐसे प्रकरण में लोगों को यहीं उम्मीद है कि शासन गंभीर रुख अख्तियार करेगा। इस बीच कांट्रेक्ट का एक मामला हाईकोर्ट भी पहुंच गया है।

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शक्तिपाल सोन प्रभात

Shaktipal is playing a valuable role in the journalism of Sonbhadra district since 7 years. You continued selfless journalism with Son Prabhat for social welfare and awareness. Contact email : info@sonprabhat.live

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