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न्यायशास्त्र आचार्य परम्परा’ पर राष्ट्रीय स्तर पर तीस छात्र करेंगे इंटर्नशिप।

सोनभद्र / राजेश पाठक – सोन प्रभात

  • शिक्षा मंत्रालय के IKS विभाग द्वारा सोनभद्र के डॉ. मुनीश कुमार मिश्र को मिला प्रोजेक्ट।
  • छात्रों को मिलेगी प्रत्येक माह दस हजार की छात्रवृत्ति
    फोटो: डाक्टर मुनीश कुमार मिश्र, संस्थापक व सचिव वैदिक धर्म संस्कृति संवर्धन फाउंडेशन, सोनभद्र।

सोनभद्र। शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के भारतीय ज्ञान परम्परा विभाग के ‘भारतीय ज्ञान संवाहन कार्यक्रम-2023’ के अंतर्गत डॉ. मुनीश कुमार मिश्र संस्थापक व सचिव वैदिक धर्म संस्कृति संवर्धन फाउंडेशन, सोनभद्र को न्यायशास्त्र आचार्य परम्परा (व्यक्तित्त्व एवं कृतित्व ) विषयक इंटर्नशिप परियोजना स्वीकृत हुयी है| इस शोध प्रस्ताव को ‘वैदिक धर्म संस्कृत संवर्धन प्रतिष्ठान’ के माध्यम से संचालित किया जायेगा| ट्रस्ट के अध्यक्ष अजित तिवारी, उपाध्यक्ष विजय कुमार दुबे, अमरेश मिश्र ने परियोजना के स्वीकृत होने पर हर्ष व्यक्त करते हुए संस्था के लिए इसे एक बड़ी उपलब्धि बताया| पूरे भारतवर्ष से इस योजना में मात्र 40 परियोजना को स्वीकृत किया गया है|


डॉ. मिश्र ने बताया कि इस अनुसन्धान परियोजना के माध्यम से प्रशिक्षुओं द्वारा न्याय दर्शन के 16वीं शताब्दी से लेकर अद्यावधि पर्यन्त भारतवर्ष के न्यायशास्त्रीय विद्वानों के जीवन परिचय का संकलन किया जाना है, जिसके अन्तर्गत जीवनवृत्त, कृतित्व, गुरु परम्परा, शिष्य परम्परा, विशिष्ट कार्य/उपलब्धि आदि समाहित रहेंगे| न केवल अध्यापन कार्य में सन्नद्ध अपितु अन्य किसी भी रूप में यदि किसी विद्वान् द्वारा न्यायशास्त्र परम्परा का संवर्धन किया गया है तो उनके जीवनवृत्त को भी इस परियोजना में सम्मिलित किया जायेगा| साथ ही यह भी बताया कि विभिन्न ग्रंथों में प्राय: मात्र काशी के ही आचार्यों का अत्यन्त सामान्य रूप में लिखित वर्णन मिलता है, जिनमें सोलहवीं शताब्दी तक के कुछ ही आचार्य हैं| 15वीं शताब्दी के उपरान्त सम्पूर्ण भारतवर्षीय न्यायशास्त्रीय आचार्यों के इतिहास का संकलन कार्य नहीं किया गया है| अत: ऐसी स्थिति में इस परम्परा को संरक्षित करने के निमित्त न्याय-वैशेषिक शास्त्र को आधार बनाकर राष्ट्रीय स्तर पर एक अनुसन्धान कार्य की अत्यंत आवश्यकता थी, जिससे एक ग्रन्थ में सभी आचार्यों का जीवनवृत्त संरक्षित हो सके| भारतीय ज्ञान परम्परा विभाग के द्वारा इस परियोजना के स्वीकृत होने से यह कार्य अब पूर्ण हो सकेगा|
यह परियोजना के पूर्ण होने पर छात्रों तथा समाज को न्याय परम्परा का ज्ञान कराने के साथ-साथ इस क्षेत्र में हो रहे अनुसन्धान कार्य में भी सहायक होगी| इसके साथ ही यह कार्य भविष्य हेतु अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में भी संरक्षित होगा तथा इसके आधार पर विकिपीडिया का निर्माण भी किया जायेगा|
डॉ. मिश्र ने बताया कि इस प्रोजेक्ट में कार्य करने हेतु कुल तीस छात्रों को राष्ट्रीय स्तर पर चयनित किया जायेगा, जिनको इंटर्नशिप के दौरान प्रत्येक माह दस हजार रूपये की छात्रवृत्ति भी प्रदान की जाएगी| इस परियोजना की संपूर्ण अवधि छ: मास है , जिसके अन्दर इसको पूर्ण किया जाना है| प्रशिक्षु छात्रों के चयन आदि की प्रक्रिया शीघ्र ही प्रारंभ की जाएगी|

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