gtag('config', 'UA-178504858-1'); Environment (पर्यावरण) संरक्षण के लिए आपने क्या किया ? विश्व पर्यावरण दिवस (world environment day) पर बेहद जरूरी है आपकी सक्रियता। - सोन प्रभात लाइव
खेती-किसानीप्रकृति एवं संरक्षणमुख्य समाचारशिक्षासम्पादकीयस्वास्थ्य

Environment (पर्यावरण) संरक्षण के लिए आपने क्या किया ? विश्व पर्यावरण दिवस (world environment day) पर बेहद जरूरी है आपकी सक्रियता।

Story Highlights

  • पर्यावरण क्या है? विश्व पर्यावरण दिवस मनाने की आवश्यकता क्यों?
  • पर्यावरण दिवस विषय की गम्भीरता। पर्यावरण प्रदूषण पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन कब और कहां हुए?
  • हमारे देश भारत द्वारा पर्यावरण संरक्षण के लिए क्या कदम उठाए गए? पर्यावरण संरक्षण के कुछ उपाय।

लेख – आशीष गुप्ता (संपादक – सोन प्रभात)

पर्यावरण (Environment)  पर यह लेख मैं उन विद्यार्थियों को समर्पित करता हूं जो वास्तव में पर्यावरण (Environment)  को जानने की चाह और संरक्षण हेतु कदम उठाने को तत्पर हों। विश्व पर्यावरण दिवस ( World Environment Day)   कब से और क्यों मनाया जाता है ? पर्यावरण संरक्षण क्यों जरूरी है? पर्यावरण संरक्षण (save environment)  को लेकर महत्वपूर्ण, सार्थक कितनी बैठके हुई? पर्यावरण (Environment)  से संबंधित कुछ अनकही जानकारियां इस लेख में आपको मिलेगा। विद्यार्थियो के लिए यह लेख काफी लाभप्रद और ज्ञानप्रद होने वाला है।

पर्यावरण (Environment)  क्या है, पहले इसे समझते हैं –

आसान भाषा में आप समझ सकते हैं – ” वह सभी तत्व परिस्थितियां जो हमें चारों ओर से घेरे हुए हैं, पर्यावरण (Environment) कहलाती है।” पर्यावरण (Environment) को चार भागों में बांटा गया है – १. भौतिक पर्यावरण, २. सांस्कृतिक पर्यावरण, ३. जैविक पर्यावरण और ४. संज्ञात पर्यावरण।

पहली बार पर्यावरण दिवस कब मनाया गया था ?

पहला बार पर्यावरण दिवस 5 जून सन 1974 को मनाया गया था, और पहले पर्यावरण दिवस का विषय था- “केवल एक पृथ्वी”

पर्यावरण (Environment)  संरक्षण अधिनियम 19 नवंबर 1986 को लागू किया गया था।

Demo Pic: World Environment Day (Sonprabhat)

विश्व पर्यावरण  दिवस ( World Environment Day) मनाने की आवश्यकता क्यों?

पर्यावरण (Environment)  को विभिन्न विषयों में प्राकृतिक वास, जनसंख्या पारिस्थितिकी एवं जीवमंडल जैसे शब्दावली से जाना जाता है। पर्यावरण (Environment)  के मौलिक तत्व में स्थान, भू आकृतियां, जलाशय, जलवायु, जल अथवा शैल, मृदा खनिज, संपति आदि सम्मिलित हैं, जबकि जैविक तत्व में मानव पशु पक्षी एवं वनस्पति सम्मिलित है।
विश्व पर्यावरण  दिवस ( World Environment Day) की शुरुआत मनुष्य द्वारा अपने लाभ के लिए लगातार पृथ्वी के संसाधनों का दोहन करने के कारण होने वाली क्षति को रोकने और पृथ्वी को बचाने के लिए पर्यावरण दिवस (Environment Day) की शुरुआत की गई मनुष्य ने पिछले 200 वर्षों में अपनी उन्नति और प्रगति के नाम पर प्रकृति का जो शोषण किया है, उसी का परिणाम है। जो आज हम अपने पर्यावरण में परिवर्तन देख रहे हैं यदि इस पर अभी दृढ़ता के साथ विचार नहीं किया गया तो आने वाले समय में हमें इसके भयंकर परिणाम भुगतने होंगे इस विषय को लेकर विश्व में जागरूकता और पर्यावरण संरक्षण (save environment) करने के लिए हर वर्ष 5 जून को वर्ल्ड एनवायरनमेंट डे यानी अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण दिवस ( World Environment Day)मनाया जाता है।

पर्यावरण (Environment)  दिवस विषय की गम्भीरता

मनुष्य हमेशा अपने ही फायदे के लिए प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करने का प्रयास किया है, इसके लिए विश्व के सभी देश अपनी प्रगति के लिए प्रकृति के संसाधनों का वहन कर रहे हैं। जिसका परिणाम है कि प्रदूषण का स्तर काफी तेजी से बढ़ता जा रहा है, हम अपनी सुख-सुविधा के लिए ज्यादा से ज्यादा पेट्रोलियम जैसे पदार्थों का उपयोग करते हैं। घर को वातानुकूलित रखने के लिए एसी जैसे उपकरणों का प्रयोग करते हैं तथा साथ ही साथ कारखाना से निकलने वाले जैविक पदार्थ जो सुविधा के अनुसार कहीं भी छोड़ दिए जाते हैं, प्रदूषण (environmental pollution)  को बढ़ावा देने में अपना योगदान दे रहे हैं। जिससे पृथ्वी (save earth) का तापमान लगातार बढ़ रहा है, ऐसे में अभी भी इसे कम न किया गया तो मानव सभ्यता को नष्ट होने में अधिक समय नहीं लगेगा। इस प्रदूषण का भयानक परिणाम यह हो सकता है, कि पृथ्वी पर जीवन की परिकल्पना करना भी असंभव हो सकता है।

पर्यावरण (Environment)  प्रदूषण पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन कब और कहां हुए?

पर्यावरण प्रदूषण (environmental pollution) के संबंध में संसार की चिंता बीसवीं सदी में ज्यादा बढ़ गई। 30 जुलाई 1968 को “मानव द्वारा उत्पन्न पर्यावरण की समस्या” विषय पर संयुक्त राष्ट्र की सामाजिक और आर्थिक परिषद ने एक प्रस्ताव पारित किया तथा एक सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें कहा गया “आधुनिक वैज्ञानिक एवं तकनीकी विकास के परिप्रेक्ष्य में मानव तथा उसके पर्यावरण के मध्य संबंधों में विकट परिवर्तन हुआ है।” सामान्य सभा ने इसमें संज्ञानता प्रकट की तथा कहा कि वैज्ञानिकों तथा तकनीकी विकास ने असीमित अवसरों को जन्म दिया है, यदि इन अवसरों का प्रयोग नियंत्रित रूप से नहीं किया गया तो हमें भयंकर समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इस सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र ने पर्यावरण प्रदूषण जल प्रदूषण तथा भूमि के वितरण के अन्य प्रारूप ध्वनि प्रदूषण अपशिष्ट तथा कीटनाशकों के प्रभाव पर भी विचार किया।

मानव पर्यावरण स्कॉटहोम सम्मेलन में पर्यावरण संरक्षण के संदर्भ में विश्वव्यापी स्तर का पहला प्रयास किया गया। जिसमें 119 देशों ने “एक ही पृथ्वी” का सिद्धांत को अपनाया था तथा इसी सम्मेलन से वर्ल्ड एनवायरमेंट डे यानी कि विश्व पर्यावरण दिवस  ( World Environment Day) की शुरुआत हुई थी।

पर्यावरण (Environment)  संरक्षण अधिनियम क्या है?

19 नवंबर 1986 को पर्यावरण संरक्षण अधिनियम लागू हुआ था इस संरक्षण अधिनियम के कुछ महत्वपूर्ण बिंदु से आपको अवगत कराते हैं।

पहली बिंदु की बात करें तो पर्यावरण की गुणवत्ता के संरक्षण हेतु सभी महत्वपूर्ण कदम उठाए जाएंगे। दूसरा महत्वपूर्ण बिंदु – पर्यावरण प्रदूषण के निवारण नियंत्रण और उपशमन हेतु राष्ट्रव्यापी योजनाएं बनाकर उसका क्रियान्वयन करेंगे और तीसरा और अंतिम – पर्यावरण की गुणवत्ता (natural environment) के मानक का निर्धारण किया जाएगा।

Also Readऑनलाइन पैसा कैसे कमाएं? यूट्यूब, ब्लॉगिंग,आखिर क्यों भाग रही युवा पीढ़ी इसके पीछे? Online Paise Kaise Kamaye

 

Environment : Pic – Sonprabhat

हमारे देश भारत द्वारा पर्यावरण (Environment)  संरक्षण (save environment) के लिए क्या कदम उठाए गए?

१. भारत सरकार ने पूरे देश में इथेनॉल के उत्पादन और वितरण के लिए E-100 नामक प्रमुख योजना की शुरुआत की है, सरकार E-20 अधिसूचना जारी कर रही है, जो तेल कंपनियों को 1 अप्रैल 2023 से 20% इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल और इथेनाल मिश्रण E-12 & E15 को विनिर्देशों के आधार पर बेचने की अनुमति प्रदान करेगी।

२. इसके अलावा भारत सरकार  ने पर्यावरण संरक्षण (save environment) राष्ट्रीय वनीकरण कार्यक्रम की शुरुआत की है, जिसके अंतर्गत पूरे देश में वनों के आसपास के क्षेत्र में पुनर्वास तथा वन रोपण का कार्य युद्ध स्तर पर किया जा रहा है।

३. जलवायु परिवर्तन के लिए कार्य योजना “हरित भारत राष्ट्रीय मिशन” है, जिसमें जलवायु परिवर्तन को जलवायु अनुकूलन में परिवर्तित करना तथा इसकी शमन रणनीति के रूप में अधिक से अधिक पेड़ो को लगाना है।

४. “राष्ट्रीय जैव विविधता कार्य योजना” के अंतर्गत प्राकृतिक आवास के क्षरण तथा हानि में कमी लाने के लिए नीतियों का कार्यान्वयन करना है।

पर्यावरण (Environment) संरक्षण के कुछ उपाय जान लेते हैं।

  1.  प्रयोग करो और फेंक दो (use and throw)  की प्रक्रिया को छोड़कर रिसाइकल की प्रक्रिया को अपनाया जाना चाहिए।
  2. वर्षा जल संचयन (Rain Water Harvesting) प्रणाली का उपयोग किया जा रहा है जिसे और बड़े स्तर पर करने की आवश्यकता है।
  3. जैविक खाद (Compost) का अधिकाधिक उपयोग किया जाना चाहिए साथ ही जहां भी संभव हो पेड़ पौधे लगाएं और उसका संरक्षण किया जाना सुनिश्चित करें।
  4. प्लास्टिक (Plastic)  के प्रयोग को पूर्णता बंद कर देना चाहिए और अपने आसपास के वातावरण को स्वच्छ रखने में अहम भूमिका निभाई जानी चाहिए।
  5. कार्बन की मात्रा को वायुमंडल में कम करने के लिए सौर ऊर्जा का अधिक से अधिक प्रयोग किया जाना चाहिए।
  6.  पर्यावरण संरक्षण हेतु इस सिद्धांत पर कार्य करना चाहिए। 3R का मतलब है , रिसाइकल (Recycle) , रिड्यूस (Reduce) और रियूज (Reuse)।
  7. जल (water) का भी संतुलित प्रयोग करना।

अंत में बात धरती (earth) कि करे तो, यह पृथ्वी (Save earth)  सिर्फ हमारा घर ही नहीं बल्कि हमारी माता है । इसके शोषण और दोहन को रोकना हम सब का कर्तव्य है, यदि इसे अभी नहीं रोका गया तो इसका परिणाम स्वयं हम मानव जाति को ही भोगना होगा। पर्यावरण दिवस मनाने का उद्देश्य है, कि हम प्रकृति के प्रति अपने कर्तव्यों का निस्वार्थ निर्वहन करें तथा उतना ही उपयोग करें जितना हमारे लिए आवश्यक है। साथ ही साथ अपनी अस्मिता के साथ साथ इस धरती पर रहने वाले सभी जीवो की अस्मिता का आदर करें तथा पर्यावरण को संरक्षित रखने का प्रयास करें।

Also Read : संपादकीय – “आपको ऐसा क्यों लगता है कि सिर्फ एक फोन कॉल से आप लखपति बन सकते हैं?”

Tags

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
.
Website Designed by- SonPrabhat Web Service PVT. LTD. +91 9935557537
.
Close