आज का व्यंग्य :- पीयेगा इंडिया तभी तो जीयेगा इंडिया। “सवाल अर्थव्यवस्था का है!”

- सुरेश गुप्त”ग्वालियरी”
(सम्पादक मण्डल सदस्य- सोनप्रभात)
सादर आभार है! मधु पान प्रेमियों, आप ही हैं, जो इस लड़खड़ाती व्यवस्था को लड़खड़ाते हुए सँभाल सकते हो।
कितना विश्वास किया है आप पर। आप ही वह प्रतिभा हो जो पीते हुए भी सोशल डिस्टेन्स का पालन एवं मास्क पहनकर इस सुव्यवस्थित रूप से लागू सरकारी आदेश का पालन करने मे सक्षम हैं।
आप के त्याग को देश सदैव याद रखेगा, एक सरकारी आदेश पर पीने की तौबा कर ली और इतने दिनों तक आपने संयम का परिचय दिया ।
सचमुच आप अभिनन्दनीय हैं। आप नही झुके न आप ने दुकानें खोलने का आग्रह किया,सरकारें खुद झुक गयी। क्योंकि आप सचमुच अर्थ व्यवस्था की रीढ़ हैं। एक ही दिन में अरबो रुपये की बिक्री जो आप के सह्रदयता व देश प्रेम को दर्शाता है।
- जब एक मद्य प्रेमी से पूछा कि लोगों ने माँग की है,आपकी सरकारी सहायता रोक दी जाये क्योंकि आप सक्षम हैं…??
– रोक दो भाई! किसने मना किया।
“ये लोगों की गलत फहमी है, जब ईश्वर ने पेट दिया है तो खाने को भी देगा ही। वह किसी को भूख से नहीं मारता या तो स्वयं देता है या सरकार के माध्यम से, यह ईश्वरीय व मानवीय कर्तव्य भी है कोई भूखा न सोये। रही दारू की बात तो उसके लिए ही तो हम जी तोड़ मेहनत करते है। यह हमारा नैतिक कर्तव्य भी है, कि अनुदान का दुरुपयोग न करें। हमारे श्रम का पैसा ही देश हित मे काम आये। मैंने स्वयं दुकान पर नारियल तोड़कर विधिवत पूजा कर खरीददारी की।”
“जितना शासन ,प्रशासन ने हम मद्य प्रेमियों पर विश्वास व्यक्त किया है अन्य किसी पर नहीं। पूजा स्थल तक नहीं खोले गए , शोरूम, सिनेमा घर , शिक्षण संस्थाएं , कोचिंग संस्थान तक को अवसर नहीं मिला। शुक्र गुज़ार हैं हम पर इतना विश्वास किया गया हम तन मन औ धन से यह सेवा करते रहेंगे।”
“हाँ एक छोटा सा निवेदन अवश्य सरकार से है कि हर शहर में स्वर्ण विक्रेताओं / गिरवी रखने वाले साहूकारों की दूकानें खोलने की अनुमति प्रदान करें जिससे हम मद्य प्रेमियों को ********** बाक़ी तोआप समझदार हैं ही।