अवैध बालू का कारोबार से करोड़ों का सरकार का हो रहा नुकसान।
- नदियों का अस्तित्व संकट में जीव जंतु पशु पक्षी बेहाल।
- जिन छोटी नदियों में कोई लीज नहीं वहां भी एक मुट्ठी बालू मयस्सर आम आदमी के लिए नहीं।
दुद्धी – सोनभद्र / जितेन्द्र कुमार चन्द्रवंशी/ सोन प्रभात
दुद्धी सोनभद्र तहसील अंतर्गत नदियों से आच्छादित खूबसूरत दुद्धी परिक्षेत्र अवैध बालू के कारोबार से मानो अपने अस्तित्व को लेकर आंसू बहा रहा है जीव जंतु पशु पक्षी जलचर त्राहि त्राहि कर रहे । लौआ, ठेमा , सतबहनी, कनहर, पांगन आदि नदिया जिन क्षेत्रों से होकर गुजरती हैं वहा कई नदियों की हालत देकर आंखों से आंसू निकल जायेंगे । आंख होकर भी आंख के अंधे बने संबंधित विभाग के आला अधिकारी व कर्मचारी कोई जवाब देने वाला जिम्मेदार व्यक्ति नहीं है , कि आखिर बिना लीज के नदियों का बालू गया कहा सूत्रों की माने तो अवैध बालू उत्खनन कर लाखों करोड़ों रुपए का कारोबार खनन माफिया सिंडिकेट प्रशासन के मिली भगत से मालामाल हो गए । लीज परमिट के नाम पर रातों-रात हजारों ट्रक अवैध बालू लेकर महानगरों की बड़ी-बड़ी मंडियों में सोने के भाव बालू बिक रहा। कार्रवाई के नाम पर कुछ ट्रक को पड़कर बाकी सब पाक साफ बता दिया जाता है ।
10 वर्षों का अगर लेखा-जोखा जिम्मेदार अधिकारियों व खनन माफिया दलालों का अगर निकल जाए तो नोटों की गिनती करने वाली मशीन भी हाथ खड़ा कर दे । स्थानीय ग्रामवासी जिसका जल जंगल जमीन पर स्वामित्व है उसे मुट्ठी भर बालू नसीब नहीं । सरकार के जन कल्याणकारी योजना प्रधानमंत्री आवास , शौचालय , पुलिया , नाली आदि के निर्माण में आम आदमी जहां एक ओर बालू के लिए त्राहि त्राहि कर रहा वहीं ट्रैक्टर से भी 4 से 5 हजार रुपए ट्रैक्टर बालू बेचकर आम आदमी को अतिरिक्त आर्थिक अधिभार बढ़ाया जा रहा । जबकि स्थानीय ग्रामवासियो नगरवासियों को सस्ते दर पर प्राथमिकता के आधार पर बालू उपलब्ध होना चाहिए । कनहर बांध का निर्माण हो जाने के बाद बालू की आवक पूर्ण रूप से बंद बांध से नीचे हो गया है । अब जब घनघोर वर्षा हो जाएगी तो नदिया ऊफान पर होगी परन्तु सामान्य निर्माण कार्य को अंजाम देने के लिए भी बालू सपना होने जा रहा । जनहित में पूर्ण रूप से प्रतिबंध क्षेत्र नदियों में बालू खनन बंद कर स्थानीय जनों को वैधानिक रूप से बालू की सुलभता ग्राम वासियों नगर वासियों को सरकार सस्ते दर पर प्रदान कराए । वरना जनता के द्वारा जनता के लिए चुने गए जनप्रतिनिधि एवं सरकार का कोई औचित्य नहीं ।