निर्माणाधीन सोलर वाटर कूलर के अस्तित्व पर खतरा।
डाला / सोनभद्र – अनिल अग्रहरि/ सोन प्रभात
डाला सोनभद्र- नगर पंचायत डाला बाजार के वार्ड नंबर पांच झपरहवा टोला मे अर्ध निर्मित सोलर वाटर कूलर के अस्तित्व पर खतरा में, क्षुब्ध होकर रहवासी महिलाओं ने विरोध प्रदर्शन किया, जिम्मेदार मौन आज सोमवार को सुबह लगभग आठ बजे नगर पंचायत डाला बाजार के वार्ड नंबर पांच झपरहवा टोला में लगभग दश माह पूर्व अधिशासी अधिकारी नगर पंचायत ने नारियल फोड़कर अगस्त 2023 में सोलर वाटर कूलर उद्घाटन किया था जहां ठेकेदार द्वारा बोरिंग कर कार्य सुरू कर दिया गया और फिर कुछ दिनों बाद रहवासियों को चकमा देते हुए अर्ध निर्मित कार्य छोड़कर ठेकेदार भाग निकला जिसके बाद अधुरे कार्य को लेकर नगर पंचायत द्वारा कोई सुध नहीं लिया।
वहीं प्रियंका देवी, मीरा देवी, मनिषा, बासमती, सुनिता, सबिता, देवमती देवी, परम देवी, दुर्गा देवी , सुनिता देवी हिरावती देवी बसंती देवी, ने बताया कि वार्ड नंबर पांच टोला झपरहवा में सबसे ज्यादा गरीब तबके के लोग निवास करते हैं जो मजदूरी कर अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं जिसके सामने पेयजल को लेकर भारी संकट बना हुआ है नगर पंचायत सबसे किनारे पहाड़ी पर बसा यह टोला सरकार की योजनाओं से हमेशा ही बंचित रह जाता हैं टोला में दो हैंडपंप स्थित है जिसकी दुरी एक हैंडपंप से दुसरे की दूरी लगभग आठ सौ मीटर तक है ।
जहां 50 से 55 घरों के रहवासी निवास करते हैं जिनको एक बाल्टी पानी हेतु आठ सौ मीटर जाना पड़ता है या फिर टैंकर आने का इंतजार करना पड़ता है यह चिंतनिय विषय है कि इस तेज गर्मी तंपन जिसका तापमान 42° से 45° हो रहा है जहां लोगों को पेयजल की अती आवश्यक है वहीं झपरहवा टोला निवासियों को पेयजल की आपूर्ति हेतु दर दर भटकने को मजबूर होना पड़ रहा है जिसका सुध लेने वाला कोई नहीं
वहीं रहवासियों समेत नगर में चर्चा का विषय बना हुआ है कि वर्तमान अधिशासी अधिकारी अतिरिक्त प्रभार आए हुए हैं जिसके कारण यहां पर समय नहीं दे पाते हैं जिससे नगर में सभी सोलर वाटर कूलर उद्घाटन के उपरांत अधूरा पड़ा हुआ है संबंधित अधिकारी अपने सेंटीग के चक्कर में नगर वासियों के सुविधाओं को बली चढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं जिससे कारण सरकार का छवि धूमिल हो रही है सरकार की योजनाओं से जनता लाभान्वित होने से बंचित हो रही है।
गरिब जनता का कोई सुनने वाला नहीं है जिम्मेदार ठेकेदार व अधिकारी अपने में मस्त हैं जनता दर दर भटकने को मजबूर हैं।