एक व्यंग्य-: आओ प्यारी बिजली रानी!

– सुरेश गुप्त ‘ग्वालियरी’ – विन्ध्यनगर/सिंगरौली
(सम्पादक मण्डल सदस्य- सोनप्रभात)
यदि मुझसे कोई पूछे कि देश का सबसे नाजुक विभाग कौन सा है ?
– तो मैं कहूँगा बिजली विभाग!
एक छुई मुई सा नाजुक सा; एक पानी की बूँद पड़ते ही रोमांस जाग उठता है और चला जाता है अपने शयन कक्ष में••• हफ़्तों हनीमून मे मस्त !!
ग्रीष्म ऋतु मे एक तेज किरण पड़ते ही ह्रदय जलने लगता है , और निकल जाता है ठण्डी जगह!
शीत काल में तो पूछिये ही मत, स्वयं रजाई ओढ़कर सो जाता है। इतना नाजुक बदन, जरा सी आंधी या मौसम ने आँखे तरेर कर बात की तो तुरन्त कोमा में।
बिजली विभाग भी क्या करे ? बिजली रानी एक** और चाहने वाले हजारों , बात बात में रूठना यही तो अदा है बिजली रानी की, कब कोप भवन में चली जाये।
“हम अर्जी लेकर खड़े है , गा रहे है मनुहार कर रहे है ; तुम रूठी रहो , मैं मनाता रहूँ ,इन अदाओं पे और प्यार आता है !पर नखरे तो देखिए आई भी नहीं और मनुहार शुल्क भेज दिया हजारों मे।”
अब हम खड़े है उसकी राहों में, बॉडी गार्ड आकर पूछता है क्यूँ खड़े हो ?
– हम रुआंसे , हुजूर आई भी नहीं और बिल भेज दिया इतना??
और करो मोह्हबत !! जोड़ो मुहब्बत के तार , एक अनार सौ बीमार!! किस किस को करे वह प्यार!! सो भैया यदि लगाया है दिल!! तो भर दो पूरा बिल!! अभी तो आपसे उसका मेक अप चार्ज भी लेना है!! बहुत दिनों बाद कोप भवन से बाहर निकलेगी तो अच्छी सेहत के लिए स्वाथ्य बर्धक खुराक तो चाहिए न!! सो सहयोग कीजिए उसके स्वाथ्य के लिए दुआ कीजिए और दाम बढ़ाने में सहयोग कीजिए।
“सो तेरा तुझको अर्पण , क्या लागे मेरा,
बस बिजली रानी हो दर्शन तेरा!!”