सेवा -भाव-: अजब जज्बा है इस बुजुर्ग का, एक अनुरोध पर व्यापारी खोल देते है खजाना।

सुरेश गुप्त’ग्वालियरी’
विन्ध्यनगर- सिंगरौली/सोनप्रभात
लगातार एक सौ पन्द्रह दिन दोनो बक्त अर्थात करीबन ढाई तीन सौ असहाय लोगों को अपने हाथों से भोजन कराना आज के समय मेँ कहानी ही प्रतीत होगी। मजे की बात यह है कि अभी यह क्रम अनवरत चालू है एक चर्चा मेँ उन्होने बताया जुलाई माह के लिये व्यवस्था पूर्ण हो चुकी है। उनसे जब पूछा गया-
- इतना भारी भरकम व्यव्स्था कैसे कर लेते हो आप ?
जबाब मिला – देने वाला तो कोई और है मै तो मात्र निमित्त हूँ मेरे सहयोगियों ,व्यापारी बंधुओं के सहयोग से ही यह सब हो पा रहा है , जहाँ पहुंच जाता हूँ मुझे कुछ माँगने की आवश्यकता नहीं पडती सब सेवा भाव से बिना बोले ही उप्लब्ध करा देते है।अब तो हर खुशी का पल जैसे जन्म दिन शादी की साल गिरह या अन्य कोई मांगलिक कार्य स्नेही जन अस्पताल मेँ ही सेवा भाव के साथ मना रहे है।
- आप इस कार्य को अंजाम कैसे देते है?
-मै सामान उप्लब्ध कराकर हलवाई को दे देता हूं, सुरक्षा निर्देशो का पालन करते हुए अपने देख रेख मेँ डिब्बे को सैनेटाईज करके पैक कराकर ट्रामा सेंटर अस्पताल मेँ वितरण हेतु ले जाता हूँ।
- क्या वहाँ भी लोग सुरक्षा निर्देशो का पालन करते है??
–जी हाँ बिना मास्क और सोशल डिस्टेंस का पालन न करने पर उन्हे खाना नही दिया जाता है वैसे हम लोग यह साधन उप्लब्ध करा देते है।
- इस कार्य के लिये आपने अस्पताल को ही क्यूँ चुना??
– यह जनपद का बहुत बडा सरकारी अस्पताल है यहाँ दूर सुदूर से लोग परिवार सहित आते है,रोगियों को तो भोजन सुविधा अस्पताल से सुलभ हो जाती है परन्तु परिवार जनों को अगल बगल मेँ कैन्टीन तथा होटल न होने के करण एवं आर्थिक असम्प्ंंता के कारण भी यह सुविधा प्राप्त नहीं हो पाती थी सो हमारे व्यापारी बंधुओं ने इस सेवा कार्य की पहल की आज यह हमारा दैनिक कार्य बन गया है।
- अखिर कब तक, क्या बढते हुए संक्रमण से आपको डर नही लगता ??
-यह तो प्रभु की इच्छा पर निर्भर है ,सब उसीके कृपा से हो रहा है। हाँ , मै और मेरी टीम सभी सुरक्षा निर्देशो का कड़ाई से पालन करता है। फिर आप सभी की दुआएं और प्रभु की कृपा साथ है।
एक टेलीफोनिक वार्ता समाज सेवी,व्यापार मण्डल एवं वैश्य महा सम्मेलन अध्यक्ष राजा राम केशरी जी के साथ ।