एस के गुप्त ‘प्रखर’-सोनभद्र(सोनप्रभात)

सोनभद्र।सावित्रीबाई फुले, भारत की पहली महिला शिक्षक, कवियत्री, समाज सेविका जिनका लक्ष्य लड़कियों को शिक्षित करना रहा है। सावित्रीबाई का जन्म 3 जनवरी 1831 को महाराष्ट्र के एक दलित परिवार में हुआ था। 9 साल की उम्र में उनकी शादी क्रांतिकारी ज्योतिबा फुले से हो गई थी उस समय ज्योतिबा फुले सिर्फ 13 साल के ही थे।सावित्रीबाई के पति क्रांतिकारी और समाजसेवी थे, तो सावित्री बाई ने भी अपना जीवन इसी क्षेत्र में लगा दिया और दूसरों की सेवा करनी शुरू कर दिया।
ज्योतिराव ने सबसे पहले सावित्री बाई को शिक्षित करने का साहस किया। 1 जनवरी 1847 को ज्योतिराव ने पुणे के भिडेवाड़ा में पहला लड़कियों का स्कूल शुरू किया। इस विद्यालय की प्रथम शिक्षिका के रूप में सावित्रीबाई को सम्मानित किया गया। समाज में महिलाओं को पढ़ाने का महान कार्य करते हुए सावित्रीबाई को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।
सावित्रीबाई फुले का रोज घर से विद्यालय तक जानें का सफर सबसे कष्टदायक होता था, जब सावित्रीबाई फुले घर से निकलती थी तो समाज के विरोधी लोग उनके ऊपर पत्थर फेंकते थे, गालियाँ देते, उनके ऊपर गोबर, अंडा, कचरा और सड़े हुए टमाटर फेंकते थे। जिससे विद्यालय पहुँचने तक उनके कपडे खराब हो जाते थे। सावित्रीबाई फुले का कोई संतान नहीं था उन्होंने आत्महत्या करने जा रही एक ब्राह्मण विधवा महिला काशीबाई की अपने घर में डिलवरी करवा उसके पुत्र यशवंतराव को गोद लिया जिसका फुले परिवार में विरोध हुआ जिसे उन्होंने अपने परिवार से संबंध समाप्त कर लिया।
पुणे में उन्होंने 18 महिला विद्यालय खोला। 28 जनवरी 1853 में गर्भवती महिलाओं द्वारा होनी वाली शिशु हत्या को रोकने के लिए ‘बाल हत्या प्रतिबंधक गृह’ भी स्थापित किया। 24 सितंबर 1873 में ज्योतिबा ने अपने अनुयायियों के साथ ‘सत्यशोधक समाज’ नामक संस्था का निर्माण किया इस संस्था का मुख्य उद्देश्य शूद्र और अति शूद्र को उच्च जातियों के शोषण से मुक्त करना था।
18वीं सदी में छुआ-छूत, सतीप्रथा, बाल-विवाह और विधवा विवाह निषेध जैसी कुरीतियों के विरुद्ध अपने पति ज्योतिबा के साथ मिलकर महिला अधिकार के लिए संघर्ष करने वाली सावित्रीबाई फुले ने विधवाओं के लिए एक केंद्र की स्थापना की और उन्हें पुनर्विवाह के लिए प्रोत्साहित किया |
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिला सशक्तिकरण के लिए उन्होंने जो किया उसके लिए पीएम मोदी ने उन्हें नमन भी किया है।
सावित्रीबाई फुले के द्वारा लिखी गई मराठी कविता का हिंदी उच्चारण इस प्रकार है:-
- जाओ जाकर पढ़ो-लिखो, बनो आत्मनिर्भर, बनो मेहनती
- काम करो-ज्ञान और धन इकट्ठा करो।
- ज्ञान के बिना सब खो जाता है, ज्ञान के बिना हम जानवर बन जाते है।
- इसलिए, खाली ना बैठो,जाओ, जाकर शिक्षा लो।
- दमितों और त्याग दिए गयों के दुखों का अंत करो, तुम्हारे पास सीखने का सुनहरा मौका है
- इसलिए सीखो और जाति के बंधन तोड़ दो, अन्धविश्वास के ग्रंथ जल्दी से जल्दी फेंक दो।
10 मार्च 1897 को प्लेग द्वारा ग्रसित मरीज़ों की सेवा करते वक्त सावित्रीबाई फुले का निधन हो गया। प्लेग से ग्रसित बच्चों की सेवा करते हुए उन्हें भी प्लेग हो गया था जिसके कारण उनकी मृत्यु हो गयी।

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