- – एक शिक्षामित्र के सहारे सैकड़ों बच्चों का भविष्य संवर रहा –
- जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने कहा होगी कठोर कार्रवाई।
दुद्धी – सोनभद्र / जितेंद्र चंद्रवंशी – सोन प्रभात
दुद्धी सोनभद्र विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत पोलवा दुद्धी सोनभद्र की प्रधानाध्यापिका श्रीमती मीतू केशरवानी जैसे गैर जिम्मेदार अध्यापकों के कारण ” शिक्षा का अधिकार कानून ” मजाक बन गया है, 21वीं सदी के जवान भारत में नौनिहालों के भविष्य के साथ शिक्षित तबका अपनी जिम्मेदारियों का किस प्रकार माखौल उड़ा रहे हैं, इसका जीता जागता तस्वीर उक्त विद्यालय में देखा जा सकता है, सरकार द्वारा लाखों रुपए विद्यालय के कायाकल्प रखरखाव पर खर्च कर बच्चों की बेहतर जिंदगी बनाए जाने को लेकर जहां सरकार पसीना बहा रही है, वही इस प्रकार के सरकारी कर्मचारी शिक्षा को मजाक बनाकर रखे हैं, जगतगुरु का दम भरने वाला देश लकड़ी के चूल्हे पर भोजन बना रहा, बच्चों, शिक्षामित्र आदि की मानें तो लगभग 1 वर्ष से सिलेंडर नहीं भरवाया गया, रोटी और सब्जी (आलू बैगन) का पक रहा था और शौचालयों में ताले लटक रहे थे,खुले में शौच करने को मजबूर है नौनिहाल और संक्रमित जीवन जी रहे, उपस्थिति पंजिका रजिस्टर पर प्रधानाध्यापिका दिनांक 9 अक्टूबर से अनुपस्थित है । इस संदर्भ में एबीएसए आलोक कुमार से मीडिया ने पूछताछ किया तो पता चला छुट्टी 1-2 दिन का लिया गया है, इस प्रकार की पूर्व में भी प्रधानाध्यापिका की शिकायतें रही है, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी से वार्ता की गई तो बताया गया कि कठोर कार्रवाई होगी।
उच्च अधिकारी शिक्षा के इस पवित्र मंदिर को किस प्रकार तार-तार कर रहे हैं यह एक नमूना मात्र है, भला हो शिक्षामित्र कामेश्वर प्रसाद का जो लगन और निष्ठा से अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रहे, देश का कर्मचारी अगर निकम्मा हो जाए तो सरकार कितनों के पीछे अधिकारी कर्मचारी तैनात करेगा यह एक विचारणीय प्रश्न है? नैतिक शिक्षा का कितना पतन हों रहा यह एक जीता जागता उदाहरण है, सरकार के मोटी रकम पाकर जहां लोग भौतिक सुख साधन का जीवन भोग रहे, वही बेरोजगार युवा, देश की सेवा करने वाले नौजवान शिक्षित होकर और पात्र होकर सड़कों पर घूम रहे।
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी अविलंब संज्ञान ले और ऐसे गैर जिम्मेदार प्रधानाध्यापक के खिलाफ कठोर कार्रवाई हो, और ज्ञान के इस पवित्र मंदिर को पवित्र और स्वच्छ बनाए जाने के लिए कुछ अधिकारियों के साथ कार्यशाला का आयोजन करें, अन्यथा जब हमारे नौनिहाल अल्प ज्ञानी या अज्ञानी होंगे तो देश कितना तरक्की करेगा इसकी कल्पना की जा सकती है, परंतु सभी ऐसे हैं ऐसा नहीं कई प्रधानाध्यापक अध्यापक ऐसे भी हैं जो अपने निजी वेतन से विद्यालय को अग्रिम पंक्ति में रखने की होड़ में नित्य लगे हैं। परंतु सरकार और जन भावनाओं, व अभिभावकों की अनदेखी कर कौन सा सपनों का महल तैयार करना चाहते हैं मालूम नहीं ।
Ashish Gupta is an Indian independent journalist. He has been continuously bringing issues of public interest to light with his writing skills and video news reporting. Hailing from Sonbhadra district, he is a famous name in journalism of Sonbhadra district.