November 22, 2024 4:07 PM

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यूपी के ये 45 विधायकों के चुनाव लड़ने पर संशय,एडीआर रिपोर्ट का दावा,सोनभद्र से दो विधायक का नाम चौकाने वाला।

  • यूपी के ये 45 विधायकों के चुनाव लड़ने पर संशय,एडीआर रिपोर्ट का दावा,सोनभद्र से दो विधायक का नाम चौकाने वाला।
  • ADR Report on UP Chunav: एडीआर की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ये 45 विधायकों के चुनाव लड़ने पर संशय है, अधिकतर विधायक भाजपा के हैं।
  • क्या है पूरा माजरा यहां समझें –

सोनभद्र – सोन प्रभात / आशीष गुप्ता – वेदव्यास सिंह मौर्य

उत्तर प्रदेश के मौजूदा 396 में से 45 विधायकों के चुनाव लड़ने पर संशय हो गया है। एसोसिएट डेमोक्रेटिक रिफार्म (एडीआर) की शुक्रवार को जारी रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि मौजूदा 45 विधायकों पर एमपी-एमएलए कोर्ट में आरोप तय हो गए हैं। आरपी अधिनियम (रिप्रेजेन्टेशन ऑफ पीपुल एक्ट/लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम) 1951 की धारा 8(1), (2) और (3) के तहत सूचीबद्ध अपराधों में ये आरोप तय हुए हैं। इन मामलों में न्यूनतम छह महीने की सजा होने पर ये विधायक चुनाव नहीं लड़ सकेंगे।

 

  • सोनभद्र जिले से रॉबर्ट्सगंज विधानसभा के वर्तमान प्रतिष्ठित विधायक भूपेश चौबे (भाजपा) और दुद्धी विधायक हरिराम चेरो (अपना दल) का भी 45 की सूची में नाम शामिल, चर्चाओं का बाजार गरम।

ये हैं वे विधायक जिन पर एम पी/ एम एल ए कोर्ट ने आरोप तय किये हैं –ए डी आर की रिपोर्ट के अनुसार.

नाम- विधानसभा क्षेत्र- पार्टी (क्रमश:)

  1. रमा शंकर सिंह-मड़िहान- भाजपा
  2. मुख्तार अंसारी- मऊ-बसपा
  3. अशोक कुमार राणा-धामपुर-भाजपा
  4. सूर्य प्रताप-पथरदेवा-भाजपा
  5. संजीव राजा-अलीगढ़-भाजपा
  6. कारिंदा सिंह- गोवर्धन-भाजपा
  7. राज कुमार पाल-प्रतापगढ़-अपना दल
  8. सुरेश्वर सिंह-महसी-भाजपा
  9. मो रिजवान-कुंदरकी-सपा
  • [उपरोक्त विधायकों पर तीनों धाराओं ( अधिनियम की धारा 8 की उप-धाराएं (1), (2) और (3)) में आरोप तय, 20 से अधिक मामले]

10.अमर सिंह-शोहरतगढ़-अपना दल

11. हरिराम -दुद्धी- अपना दल

12. उमेश मलिक-बुढ़ाना-भाजपा

13.सत्यवीर त्यागी-मेरठ-किठोर

14.मनीषअसीजा-फिरोजाबाद-भाजपा
15.नंद किशोर-लोनी भाजपा

16.देवेन्द्र सिंह-कासगंज-भाजपा

17.वीरेन्द्र-एटा-भाजपा

18.विक्रम सिंह-खतौली-भाजपा

19.धर्मेन्द्र कु सिंह शाक्य-शेखुपुर-भाजपा

20.राजेश मिश्र-बिथरी चैनपुर-भाजपा

21.बाबू राम-पूरनपुर-भाजपा

22.मनोहर लाल-मेहरौनी-भाजपा

23.बृजभूषण -चरखारी-भाजपा

24.राजकरन-नरैनी-बांदा

25.अभय कुमार-रानीगंज-भाजपा

26.राकेश कुमार-मेंहदावल-भाजपा

27.संजय प्रताप जायसवाल-रुधौली-भाजपा

28.राम चंद्र यादव-रुदौली-भाजपा

29.गोरखनाथ-मिल्कीपुर-भाजपा

30.इंद्र प्रताप-गोसाईगंज-भाजपा

31.अजय प्रताप-कर्नलगंज-भाजपा

32.श्रीराम-मोहम्मदाबाद गोहना-भाजपा

33.आनंद-बलिया-भाजपा

34.सुशील सिंह-सैयदरजा-भाजपा

35.रवीन्द्र जायसवाल-वाराणसी उ-भाजपा

36.भूपेश कुमार-राबर्ट्सगंज-भाजपा

37.सुरेन्द्र मैथानी-गोविंदनगर-भाजपा

38.असलम अली-धोलना-बसपा

39.मो असलम-भिनगा-बसपा

40.अजय कुमार लल्लू-तमकुहीगंज-कांग्रेस

41.विजय कुमार-ज्ञानपुर-अन्य दल

42.राकेश प्रताप सिंह-गौरीगंज-सपा

43.शैलेन्द्र यादव ललई-शाहगंज-सपा

44.प्रभुनाथ यादव-सकलडीहा-सपा

हालांकि इस सूची पर चुनाव आयोग अपना फैसला ले सकती है। आरोप तय होने और तयशुदा सजा मिलने के बाद चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित किए जाने का नियम पहले से है लेकिन राजनीतिक लोगों द्वारा अपने प्रभाव का उपयोग कर अभी तक विभिन्न कोर्टों में मामले चलते रहते थे। ज्यादातर जगहों पर अपराध तय होने को टाला जाता था और लम्बे समय तक मुकदमे चलने के बाद भी आरोप तय नहीं हो पाते थे। रमा शंकर सिंह एक ऐसा नाम है जिन पर 27 साल से मुकदमा चल रहा है लेकिन आज तक आरोप तय नहीं हो पाए। मुख्तार असांरी पर 26 वर्ष से, अशोक राना पर 25 वर्ष, संजीव राजा पर 24 वर्ष, कारिंदा सिंह पर 23 साल से मुकदमें चल रहे हैं लेकिन आरोप तय नहीं हो पाए थे। वहीं सूचनाओं को छिपाया भी जाता था मसलन किसी कोर्ट में अपराध तय भी हो गया तो उम्मदीवार उसे छुपा लेते थे। लेकिन 2018 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद एमपी-एमएलए कोर्ट की स्थापना हुई और यहां तीन सालों की अवधि में ही इन विधायकों पर आरोप तय कर लिए गए।

  • क्या है आर.पी अधिनियम, 1951 की धारा 8(1) (2) और (3)

दरअसल, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8 में राज्य में संसद के किसी भी सदन के सदस्य के साथ-साथ विधानसभा या विधान परिषद के सदस्य के रूप में होने और चुने जाे वाले व्यक्तियों के लिए अयोग्यता का प्रावधान है। अधिनियम की धारा 8 की उप-धाराएं (1), (2) और (3) में प्रावधान है कि इनमें से किसी भी उपधारा में उल्लेखित अपराध के लिए दोषी व्यक्ति को दोषसिद्धि की तारीख से अयोग्य घोषित किया जाएगा और उसकी रिहाई के छह साल बाद तक की अवधि के लिए वह अयोग्य बना रहेगा। इसमें हत्या से बलात्कार, डकैती से लेकर अपहरण और रिश्वत जैसे अपराध भी शामिल हैं।

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