सोनप्रभात विशेष लेख –
सोनभद्र- आशीष गुप्ता (संकलन)
- – 5 अप्रैल रात्रि 9 बजे दीप प्रज्ज्वलन पर सोनप्रभात पाठकों और जनमानस की प्रतिक्रियाएं।
- –सोनप्रभात ने मांगी पाठकों से दीप प्रज्ज्वलन पर प्रतिक्रिया ,पढ़े आप भी। क्या है? लोगो का कहना।
– सुरेश गुप्त – (सोनप्रभात)
सम्पादक मंडल सदस्य
“यह दीप है मंगल कामना का, मंगल भावना का,मंगल प्रार्थना का, सामूहिकता दिखाने का, सकारात्मकता ऊर्जा पैदा करने तथा सद्भाव जगाने का ,देश के प्रति निष्ठा प्रदर्शित करने के ऐसे शुभ अवसर बार बार नहीं आते। इससे पहले भी हमने मंगल वाद्य द्वारा अपनी एक जुटता का प्रदर्शन किया है। समूचे विश्व ने इस कार्य को सराहा है। हमारे इस कार्य ने हाहाकारी आपदा काल में संलग्न सभी कर्मियों के मनोबल को बढ़ाया है , हमें अपने राष्ट्रीय नेतृत्व के इस अपील का स्वागत ,समर्थन व क्रियान्वित करने का शुभ अवसर प्राप्त हुआ है, तो आइये आज रात्रि 9 बजे मंगल दीप जलाएं! हो सके तो अपने जिह्वा से मंगल गीत ”मंगल भवन अमंगल हारी” गाकर इस दिवस को और भी मंगल बनाएं।”
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- सहायक अध्यापक प्रा0वि0 बीजपुर – अजय कुमार गुप्ता लिखते हैं-
“प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने देश की जनता से 5 अप्रैल को रात 9:00 बजे 9 मिनट तक दीपक, टॉर्च या मोबाइल का फ्लैशलाइट जलाने का आह्वान किया है, इस आह्वान के बाद देश की जनता के द्वारा कई तरह की प्रतिक्रियाएं प्राप्त हो रही है जो सोशल मीडिया के माध्यम से दिखाई दे रहा है ज्यादातर लोग प्रधानमंत्री जी के साथ खड़े हैं तो कुछ लोगों का कहना है कि भारत में इस तरह की आपदा की स्थिति में दिया जलाना सही नहीं है, इससे कोई लाभ नहीं होना है। परंतु धार्मिकर्मिक दृष्टि से देखा जाए तो दीप का बड़ा ही महत्व है। हिंदू धर्म में दीप को आत्मा और ईश्वर का प्रतीक तक माना गया है। यह विजय का सूचक भी होता है। धर्म ग्रंथों में रोग को अंधकार और आसुरी शक्तियों का सहायक माना गया है। जिसे हराने के लिए दैवी शक्ति के प्रतीक चिह्न के रूप में हर शाम दीप जलाने की बात कही गई है । अर्थात दीप की रोशनी परब्रह्म का स्वरूप है, संध्या काल में जलाया जाने वाला दीप अंधकार यानी नकारात्मक ऊर्जा का हरण करता है।”
जैसा कि हम जानते हैं खाली दिमाग शैतान का घर होता है, इस समय ज्यादातर लोग घर पर बैठे हुए हैं ऐसी स्थिति में जीवन में रोचकता, सृजनात्मकता का अभाव निश्चित है, इस स्थिति में इस तरह का कार्य एक नवीन उत्साह और क्रियाशीलता को बढ़ाएगा साथ ही हमारे देश में रह रहे गरीब/ जरूरतमंद लोगों को भी यह संदेश देगा कि इस आपदा की घड़ी में देश के सभी लोग एक साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े है। दीप शत्रुओं का विनाश करता है और आरोग्य एवं सुख प्रदान करता है।दीपक जलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास होने के साथ ही घर का वातावरण संतुलित रहता है। अतः हमें इस देश की एकता को और मजबूत करने के लिए प्रधानमंत्री जी के आह्वान का स्वागत करना चाहिए।
- बिल्कुल सही हम हमारा पूरा परिवार इस कार्य मे समर्पित है- इब्राहिम खान लिखते हैं-
~ प्रधानमंत्री के आवाहन पर आज रात्रि 9:00 बजे 9 मिनट तक घरों में प्रकाश उत्सव किया जाएगा।
“शास्त्र अनुसार कामदा द्वादश पर प्रज्वलित किया गया दीप समस्त कामनाओं की पूर्ति करता है। दुद्धी सोनभद्र एवं देश के कोने कोने में आज रात्रि 9:00 बजे माननीय प्रधानमंत्री जी के आवाहन पर घरों में 9 मिनट तक बिजली घरों की बंद कर प्रकाश के रूप में दीया ,मोमबत्ती, मोबाइल का फ्लैश का उपयोग करके अंधेरा को दूर भगाने एवं समस्त कामनाओं की पूर्ति के लिए 9 मिनट का संपूर्ण देश में प्रकाश उत्सव घरों के लोगो द्वारा किया जाएगा, जिसकी तैयारी में दुद्धी के लोगों ने व्हाट्सप ,फेसबुक के द्वारा सभी लोगों को जागरूक किया जा रहा है ,इस अवसर पर सभी जाति धर्म ,पंथ ,मजहब के लोगो ने भी देश को कोरोना नामक वैश्विक महामारी की जंग में संघर्ष में देश के साथ कंधे से कंधा सहयोग करने वाले हास्पिटलकर्मी डॉक्टर ,पुलिस प्रशासन के जवान , मीडियाकर्मी ,जीवन उपयोगी वस्तुओं के सहयोग में लगे दुकानदारों सभी के स्वाथ्य जीवन की और विश्व मंगल कामनाओ के साथ आज घरो में दीप जलाया जायगा।”
इस बाबत नान्हू राम अग्रहरि ,धीरेन्द्र सिंह ,डॉक्टर राजकुमार ,दिलीप पाण्डेयअनिल तिवारी ,ईश्वर अग्रहरि ,आनन्द जायसवाल ,ईब्राहिम खा ,अजीत सिंहआदि ने विश्व मंगल की कामना की।
- अनिल तिवारी (प्रधानाचार्य)
महावीर सरस्वती शिशु विद्या मंदिर दुद्धी
अपनी कविता के माध्यम से लिखते हैं-
हे विधाता !काहे दुनिया में रोना आता।
चारों तरफ से हवे भारी -भरकम,
आवाज आवे हम तुमसे ना कम,
छोटे-छोटे विषाणुओं से दुनिया समेटाता।
हे विधाता !काहे दुनिया में रोना आता….
ज्ञान -विज्ञान से कोरोना की उत्पत्ति,
पापिनी -राक्षसनी दुनिया में पलती,
चिकित्सा -फरिश्ता ना कष्ट हर पाता।
हे विधाता! काहे दुनिया में रोना आता….
नेता करे नेतागिरी जनता मनमानी,
खाकर पुलिसिया बेंत फिर भी ना मानी,
मोदी जी की घोषणा से घर में ही रहाता।
हे विधाता !काहे दुनिया में रोना आता…..
सज्जनों की सजगता दुनिया में अइले,
जगह -जगह भोज से भुखमरी मिटइले,
बिना कर्म किए कैसे भागिहें विपन्नता।
हे विधाता !काहे दुनिया में रोना आता….
घर में बैठी जब मिली सुमिरन करिहें,
बाह्य रिपुवन को मार दुनिया से भगइहें,
ईश की संदेशा मानिहें सब मिली जनता।
हे विधाता !काहे दुनिया में रोना आता…
- सोनप्रभात के पहल पर इस प्रकार की प्रतिक्रिया देने हेतु सोनप्रभात समस्त पाठकों/सम्मानित जनमानस का आभार व्यक्त करता है।
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Ashish Gupta is an Indian independent journalist. He has been continuously bringing issues of public interest to light with his writing skills and video news reporting. Hailing from Sonbhadra district, he is a famous name in journalism of Sonbhadra district.