November 22, 2024 5:00 PM

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– जब तलक जिंदा कलम हमारी, हम देश झुकने न देंगें!!

सोनप्रभात – सर्वेश कुमार गुप्तʺ प्रखर 

 

मै “ठोकरें खाता हूँ पर,
बड़ी शान” से चलता हूँ”।
“मैं खुले आसमान के नीचे भी,
सीना तान के चलता हूँ”।
अपने निवाले से भी मैं ,
भूखो को खिलाकर चलता हूँ।
चलना तो जिंदगी है ,
न चला तो, मर जाना है।
मुश्किले तो सच है जिंदगी की,
आने दो , आने दो, मुश्किलो को
लड़ूंगा, गिरूंगा, उठूगा और ,
गिरूंगा, फिर उठूगा और
अंत “मै” ही जीतूंगा यह ठान के चलता हूँ।

सर्वेश कुमार गुप्त “प्रखर “

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