क्यूं बैठा है घर पर लल्ला!लेकर पत्थर निकल शहर में,
लूट के आजा सेठ का गल्ला!!
देख पड़ोसी भिखमंगे को,
आज का हीरो है अब्दुल्ला!!
जा ट्रेन लूट ले,आग लगा दे,
घर पर बैठा बना निठल्ला!!
पहन ले खादी लेट सड़क पर,
बन जा नेता माशा अल्ला!!
देश जले तो जल जाने दो,
बनवा ले तू घर दो तल्ला!!
तू भी जाकर हाथ सेंक लें,
जैसे शामिल नेता, दल्ला!!सुरेश गुप्त ग्वालियरी ( सह – संपादक / सोन प्रभात)- विंध्य नगर, बैढ़न