संवाददाता:-यू.गुप्ता
(सोशल डेस्क/ मीडिया )
मिर्जापुर जिले की बेटियां अब अपने जिले और देश का नाम लगातार रोशन कर रही हैं। अभी हाल ही मे मिर्जापुर जिले की एक बेटी ज्योति यादव का चयन राष्ट्रीय क्रिकेट टूर्नामेंट के लिए हुआ है, आइये हम सभी जानते हैं उस बिटियाँ के संघर्ष के बारे में—

आज मिर्जापुर की बेटियां देशभर में अपना तथा मिर्जापुर का नाम रोशन कर रही हैं। अभी हाल में ही मिर्जापुर की सानिया ने एन.डी.ए. की परीक्षा में 149वीं रैंक हासिल कर फ्लाइंग विंग में दूसरा स्थान प्राप्त कर किया। और अब सानिया देश की पहली मुस्लिम महिला फाइटर पायलट बन सकतीं हैं। उनकी इस उपलब्धि से पूरे मिर्जापुर जिले के हर शख्स का सीना चौड़ा हो गया है।
अब मिर्ज़ापुर जिले की एक और बेटी ज्योति यादव ने मिर्जापुर का नाम का नाम रोशन किया है। ज्योति यादव का चयन महिला टी20 टीम में हुआ है। ज्योति यादव का राष्ट्रीय क्रिकेट टूर्नामेंट में सलेक्शन होना, हर उस लड़की के लिए प्रेरणा है, जो विपरीत परिस्थितियों के बाद भी अपने सपने को पूरा करना चाहती हैं।
बी.सी.सी.आई. इस साल से महिला आई.पी.एल. की शुरूआत कर रहा है, साथ ही साथ पूरे देश भर में “खेलो इंडिया खेलो” कैंपेन के जरिए टैलेंटेड खिलाड़ी की खोज कर रहा है। ऐसी ही एक टैलेंटेड महिला क्रिकेट खिलाड़ी ज्योति यादव हैं, जिनका दिल्ली डी.एल.सी.एल. में सलेक्शन हुआ है।

मिर्जापुर जिले के कछवां थाना क्षेत्र के तिवारीपुरा गांव की रहने वाली ज्योति यादव अपने घर के काम के साथ जब भी मौका मिलता था तब वह हमेशा क्रिकेट खेलने में ही अपना समय बिताती थी। वह अपने पिता काशीनाथ यादव से क्रिकेट थोड़ा बहुत सीखती थी। ज्योति लड़कों के साथ भी क्रिकेट खेलती थी। पांच बहनों और एक भाई के बीच चौथे नंबर की ज्योति से उसके परिवार को बहुत उम्मीदें हैं, लेकिन ज्योति की मजबूरी अब यह है कि उसने क्वालीफाई तो कर लिया है लेकिन आगे के रहने-खाने की व्यवस्था करने तक के उसके पास पैसे नहीं हैं। ज्योति का सपना टीम इंडिया के लिए खेलना है, लेकिन अत्यन्त गरीब होने के कारण उसे हर कदम पर कठिनाइयों /मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
ज्योति यादव ने बचपन में क्रिकेट के गुण अपने पिता जी से सीखा है। उन्होंने देश के लिए क्रिकेट खेलने का सपना देखा तो पिता को इस बात की चिंता सताने लगी कि बेटी के सपने को कैसे पूरा करेंगे। मजदूरी करके वह एक दिन में लगभग 350 रुपये तक ही कमा पाते हैं, और अपने घर मे कमाने वाले वह इकलौते सदस्य हैं। परिवार के पास न तो कोई जमीन है और न कोई निश्चित आय। एक तरफ बेटी के सपने थे तो दूसरी तरफ उसकी शिक्षा।

ज्योति का कहना है कि “पैसे की तंगी के कारण वह प्रोफेशनल ट्रेनिंग नहीं ले पा रही है। वह एक बार प्रयागराज एकेडमी भी गई थी, लेकिन वहां पर पैसे न होने के कारण उसको बाहर निकाल दिया गया। वह केवल मोबाइल के जरिये यूट्यूब को देखकर क्रिकेट सीख रही है। एक अपने करीबी रिश्तेदार से पता चला कि दिल्ली में क्रिकेट के खिलाड़ियों का सलेक्शन हो रहा है तो वह उनके कहने पर पर गई थी और वहा पर मेरा सलेक्शन महिला आईपीएल टी20 टूर्नामेंट के लिए हुआ है। सरकार मदद कर दे तो हम भारत के लिए अच्छा मेडल लाएंगे।”

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