- सोनभद्र के लोगों को नहीं मिला चेयरमैन का पद
दुद्धी – सोनभद्र / जितेंद्र चंद्रवंशी – सोन प्रभात
दुद्धी सोनभद्र- जिला सहकारी बैंक का चुनाव मिर्जापुर जिले से अलग कर सोनभद्र का अलग चुनाव चेयरमैन का कराए जाने की मांग उठने लगी है। जिससे जनपद वासियों को चेयरमैन पद की सहभागिता मिल सके। मिर्जापुर जिले से अलग हुए सोनभद्र को लगभग 34 वर्ष हो गए लेकिन अभी भी सहकारिता से सम्बंधित जिला सहकारी बैंक का चुनाव मिर्जापुर व सोनभद्र को मिलाकर कराया जाता है जिससे सोनभद्र की सहभागिता बहुत कम होती है। जिससे सोनभद्र जनपद का कोई चेयरमैन नही बन पाता है ।ज्ञातब्य हो कि उत्तर प्रदेश के 75 जिलों में से केवल कौशाम्बी और सोनभद्र जनपद ही ऐसे है जिनका अपना प्रधान कार्यालय नही है और ना ही इनका अलग चुनाव कराया जा रहा है । मिर्जापुर जनपद में 12 ब्लॉक और सोनभद्र जनपद में 10 ब्लॉक है ।बैंक के चुनाव के समय 13 डायरेक्टर गणों में से गत वर्ष 3 डायरेक्टर का ही प्रतिनिधित्व सोनभद्र जनपद को दिया गया था और मिर्जापुर जनपद में 10 डायरेक्टर थे। यह भी तो सोनभद्र के साथ पक्षपात है ,या यूं कहा जाए कि सोनभद्र की उपेक्षा हैं। ऐसे में यही प्रश्न उठना लाजिमी है कि जब जिला सहकारी बैंक के चुनाव में 50 प्रतिशत की भागीदारी न मिले तो सोनभद्र जनपद को ही अलग कर यहाँ चुनाव कराया जाए।मिर्जापुर जनपद में जिला सहकारी बैंक की 16 शाखाएं है और सोनभद्र में 11 शाखाये है । प्रधान कार्यालय मिर्जापुर होने के कारण और चेयरमैन /सभापति का भी कार्यालय मिर्जापुर होने के कारण सोनभद्र जनपद के बैंकों पर ध्यान नहीं दिया जाता है जिससे यहाँ के बैंकों की वसूली भी कम हो पाती हैं। भाजपा नेता डीसीएफ चेयरमैन सुरेन्द्र कुमार अग्रहरि ने कहा कि जिला सहकारी बैंक के चुनाव में सोनभद्र जनपद के साथ अन्याय और उपेक्षा की जाती है और अनुपातिक प्रतिनिधित्व नहीं मिल पाता है जिसके कारण सोनभद्र जिले का कोई भी व्यक्ति जिला सहकारी बैंक का चेयरमैन नहीं बन पाता है ,इसलिए आवश्यक है कि मिर्जापुर से सोनभद्र को अलग कर चुनाव कराया जाए या जब तक अलग नही हो पाता है तब तक 50 प्रतिशत की भागीदारी मिले ,तब ही यह संभावना होगी कि सोनभद्र जनपद का भी व्यक्ति डीसीबी का चेयरमैन बन सकता है। अन्यथा क्षेत्रीय राजनीति के कारण सोनभद्र पिछडॉ ही रह सकता है। इस सन्दर्भ में सहकारिता मन्त्री जेपीएस राठौर से मिलकर अवगत कराते हुए सोनभद्र जनपद को मिर्जापुर से अलग करवाया जाएगा या जब तक सम्भव नहीं हो पाता है तब तक 50 प्रतिशत की भागीदारी सुनिश्चित कराया जाएगा l
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