सर्वेश गुप्त’प्रखर’-रेणुकूट, सोनभद्र(सोनप्रभात)
रेणुकूट, सोनभद्र- श्रमिक महासंघ वर्कर्स फ्रंट समेत तमाम संगठनों द्वारा कोविड-19 के संक्रमण के कारण हुए लाकडाउन में प्रवासी श्रमिकों को वापस उनके घर वापस पहुंचाने की मांग को संज्ञान में लेकर केन्द्र सरकार ने कल घर वापस भेजने का निर्देश दिया है। इस सम्बंध में कल ही केन्द्र सरकार के गृह मंत्रालय ने आदेश जारी किए है। गृह सचिव भारत सरकार द्वारा इस आदेश दिनांकित 29.04.2020 में प्रवासी मजदूरों को लाने की जबाबदेही राज्य सरकारों पर छोडी गयी है। इस आदेश में प्रवासी मजदूरों को लाने के लिए राज्यों को नोडल अधिकारी नियुक्त करने, रास्ते में पडने वाले राज्यों को मजदूरों के खाने-पीने की व्यवस्था करने, मजदूरों को सड़क मार्ग से ही लाने और इसके लिए जिन राज्यों से लाने वाले साघन गुजरे वहां उन्हें अनुमति देने और लाए जाने वाले साधनों में व्यक्तिगत दूरी बनाने, साधनों को सेनिटाइज करने और मजदूरों की स्कैनिंग आदि के निर्देश दिए गए है।
इस सम्बंध में संज्ञान में लाना चाहेंगें कि इस समय प्रवासी मजदूरों में घर वापसी की बेहद बेसब्री है और कल केन्द्र सरकार द्वारा की गयी घोषणा से वह और भी बढ़ गयी है। आप अवगत है कि नोएडा, हरियाणा, सूरत, मुम्बई और हैदराबाद जैसी तमाम जगहों पर घर वापस जाने के लिए बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर इकठ्ठा हो गए थे। जिससे कोरोना महामारी से लडने के लिए व्यक्तिगत दूरी बनाने के सरकार के प्रयास को बड़ा धक्का भी लगा था। इन मजदूरों को वापस लाने की किसी नीति के अभाव में और बिना किसी योजना के आनन फानन में लागू किए गए लाकडाउन के कारण लाखों की संख्या में प्रवासी मजदूर पैदल, साईकिल, ठेला, रिक्शा आदि साधनों से हजारों किलोमीटर दूर अपने घरों को वापस लौट रहे है। हमें उम्मीद है कि भोजन व पानी न मिलने और बीमारी से उनके बेमौत मरने की खबरें भी आपके संज्ञान में होंगी। अभी भी श्रमिक महासंघ के अध्यक्ष व सोनभद्र जनपद का श्रम बंधु होने के कारण महाराष्ट्र, तमिलनाडू, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, गुजरात, बिहार, झारखण्ड़ जैसे तमाम राज्यों से विशेषकर सोनभद्र, चंदौली व मिर्जापुर के श्रमिकों के लगातार अधोहस्ताक्षरी को फोन आ रहे है। यह मजदूर बाहर काम करके वहां से अपने परिवारों को पैसा भेजते है। इनके पास जहां यह काम करते है वहां आमतौर पर कोई अतिरिक्त धन नहीं होता। यहीं वजह है कि कई तो भुखमरी की हालत में जीवन गुजार रहे है। हमें यह भी सूचना मिल रही है कि साईकिल या अपने साधनों से लौट रहे मजदूरों को पुलिस रोक रही है।ऐसी स्थिति में प्रवासी मजदूरों की जबाबदेही महज राज्य सरकारों पर छोड़ना उचित नहीं है।
प्रवासी मजदूरों के सामने मौजूद उपरोक्त संकटकालीन परिस्थितियों में हम आपसे निम्नलिखित मांग करते है।
1. केन्द्र सरकार प्रवासी मजदूरों की बड़ी संख्या को देखते हुए इनको लाने के लिए विशेष ट्रेनों को चलाने की व्यवस्था करें। सामान लाने के लिए स्पेशल ट्रेनें सरकार चला रही ही है, इसलिए ऐसी ट्रेनों के संचालन में कोई दिक्कत नहीं है। ट्रेनों को सेनेटाइज किया जाए और आवश्यक स्वास्थ्य मंत्रालय के निर्देशों के अनुपालन को सुनिश्चित किया जाए।
2. सरकार को प्रवासी मजदूरों को लाने की मुफ्त व्यवस्था करनी चाहिए और चलने वाले स्थान से अपने घर तक जाने के लिए पर्याप्त मुफ्त खाने व पानी को उपलब्ध कराना चाहिए।
3. यदि सडक मार्ग से ही लाना अनिवार्य हो तो सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि मजदूर निजी बस आपरेटरों की लूट का शिकार न बने। बल्कि सरकार को सभी निजी बसों का अधिग्रहण कर उनका किराया स्वयं देना चाहिए न कि मजदूरों से लेना चाहिए।
4. प्रवासी मजदूर के परिवार उन पर निर्भर है इसलिए उनको उनके घर पहुचने से पूर्व कम से कम 5000 रूपया और आटा, चावल, तेल, दाल, नमक आदि की राशन किट देनी चाहिए।
5. अपने साघनों से आ रहे प्रवासी मजदूरों पर पुलिस द्वारा की जा रही बर्बरता पर रोक लगाने का आदेश सभी राज्य सरकारों को गृह मंत्रालय द्वारा दिया जाना चाहिए और यदि किसी भी जिले में ऐसी बर्बरता होती है तो वहां के जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक को जबाबदेह बनाकर कड़ी कार्यवाही करनी चाहिए।
Ashish Gupta is an Indian independent journalist. He has been continuously bringing issues of public interest to light with his writing skills and video news reporting. Hailing from Sonbhadra district, he is a famous name in journalism of Sonbhadra district.