सिंगरौली – सुरेश गुप्त ग्वालियरी / सोन प्रभात
विगत वर्ष की बिदाई और नव आगत वर्ष का स्वागत हेतु एक कवि गोष्ठी का आयोजन बैढन स्थित युग चेतना विद्यालय के प्रांगण में आयोजित हुआ,कवि गोष्ठी में स्थानीय कवियों ने अपनी रचनाओं से सभी को भाव विभोर कर दिया!! सर्व प्रथम मां वीणा वादिनी की पूजा अर्चना आमंत्रित मंचासीन कवि जनों एवम आज के कवि गोष्ठी अध्यक्ष सुरेश गुप्त ग्वालियरी तथा कार्यक्रम संयोजक आर के पटेल द्वारा की गई।

सभी आमंत्रित कवि जनों का माल्यार्पण एवम स्वागत युग चेतना विद्यालय के प्रबंधक श्री आर के पटेल तथा आदिवासी संस्कृति समाज उत्थान समिति सिंगरौली के श्री मनोहर लाल वर्मा तथा मध्य प्रदेश साहित्य सम्मेलन जिला इकाई के उपाध्यक्ष श्री प्रविंदु दुबे चंचल ने किया!! नए वर्ष की बधाई देते हुए साहित्यिक संस्था के वरिष्ठ कवि एवम उपाध्यक्ष “चंचल” जी ने इस वर्ष किए गए संस्था के कार्यों की जानकारी देते हुए कहा यह संस्था हिंदी साहित्य के सेवा हेतु पूर्ण रूप से दृण संकल्पित है पूरे वर्ष हुए कार्यक्रमों की जानकारी भी उपलब्ध कराई, आपने वर्ष 2024 में अनेक होने वाले कार्यक्रम की भी जानकारी दी! गोष्ठी का सफल संचालन युवा कवि संजीव कुमार पाठक सौम्य ने किया!! मां वीणा वादिनी का आह्वान वरिष्ठ कवि राम खेलावन मिश्रा ने किया।

वरिष्ठ कवि मनोहर लाल वर्मा ने भारत को विश्व गुरु बनाने की मंशा जाहिर करते हुए रचना पढ़ी,फिर से बने विश्व गुरु भारत देश,गांव गली,घर ,शहर ,डगर में पहुंचे यह संदेश!! श्री राम खेलावन मिश्र ने धन्य है अमर शहीद जवान, धन्य है अमर शहीद जवान,देश की रक्षा करते हरदम,देकर अपनी जान।

वरिष्ठ कवि एवम संस्था के सचिव नारायण दास विकल ने कैसे कह दूं,कोई भी लाचारी नही,धूप से रिश्ते हमारे,छांव से यारी नही,सुनाकर खूब वाह वाही बटोरी!! युवा गजलकार संजीव कुमार पाठक सौम्य ने रोशनी दिखाकर, मशालें वो बेच रहा,दिया जलाकर हिमालय वो सेंक रहा सुनाकर जीवन की सच्चाइयों को उजागर किया,वरिष्ठ कवि एवम संस्था के सर्वेसर्वा प्रविंदु दुबे चंचल ने नव वर्ष पर मंगल मय कामना करते हुए रचना प्रस्तुत की, “विचारों की वंशी का स्वर उत्कर्ष हो, ऐसा पावन हमारा नया वर्ष हो!! वरिष्ठ कवि डॉक्टर सुरेश मिश्र गौतम ने अंग्रेजों के नव वर्ष को नकारते हुए अपना यथार्थ श्रोताओं के सम्मुख रखा ” नहीं रंगत बिछी भू पर, न ही मौसम सुहाना है! न कपड़े पेड़ों ने बदले, सभी कुछ तो पुराना है!! अंत में काव्य गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ कवि सुरेश गुप्त ग्वालियरी ने नव वर्ष को नकारते हुए अपनी रचना से सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया, ऋतुओं का भी मिलन नही है, शुभ कार्य का चलन नही है,मौसम भी कुछ ठिठुरा ठिठुरा, ओस कोहरा बिखरा बिखरा, कैसे पूजा थाल सजाऊं, कैसे मैं नव वर्ष मनाऊं!!
अंत में स्मृति चिन्ह भेंट कर युग चेतना विद्यालय के प्रबंधक श्री आर के पटेल ने सभी का आभार व्यक्त किया।

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