डाला/अनिल कुमार अग्रहरि/सोनप्रभात
डाला सोनभद्र- उत्तर प्रदेश सीमेन्ट निगम के लगभग दो हजार पूर्व सीमेन्ट कर्मचारी आज भी फकाकसी के शिकार हो रहे।उनका और उनके ऊपर आश्रित स्वजन आर्थिक तंगी के कारण परेशान हैं।जिसको लेकर सैकड़ो पुर्व सीमेन्ट निगम कर्मचारियो ने हस्ताक्षर युक्त पत्रक भारतीय जनता पार्टी के जिलाध्यक्ष नन्दलाल गुप्ता को सौपकर न्याय की गुहार लगाया है।पूर्व सीमेन्ट निगम कर्मी संतोष कुमार,सजावल पाठक,देवनाथ चन्द्रवंशी,रामनिवास भारती,लालता प्रसाद,केदारनाथ आदि लोगो ने उन्हें बताया कि डाला,चुर्क व चुनार में स्थित उत्तर प्रदेश राज्य सीमेन्ट निगम में पाँच हजार से अधिक कर्मचारी काम करते थे।जिसे 8 दिसम्बर 1999 को हाईकोर्ट द्वारा बंद करने का आदेश दिया गया था।जिसे उस समय की तत्कालिन उ०प्र०सरकार व सीमेन्ट निगम प्रशासन ने 31 जुलाई 2001 को आफिशियल लिक्युडेटर को हैण्ड ओवर कर कर्मचारियो को फैक्ट्री गेट से बाहर निकाल दिया गया।छटनी सुदा कुछ सम्पन्न कर्मचारियो ने हाई कोर्ट इलाहाबाद में मुकदमा कर सुप्रीम कोर्ट तक गये,जहाँ से उन्हें छटनी सुदा कर्मचारी मानकर समायोजित करने,बैक वेजेज और पेन्सन देने का आदेश 31जनवरी 2008 को,फिर 09 सितम्बर 2015 को तथा कुछ अन्य तारिख पर दिया ।जिसके बाद शासन द्वारा उ०प्र० सीमेन्ट निगम के छटनी सुदा एक हजार पूर्व सीमेन्ट कर्मीयो को विभिन्न विभागो में समायोजित कर उन्हें सभी सुविधा प्रदान कर दी गई है।लगभग दो हजार पूर्व कर्मचारियो का मामला सन् 2016 से तथा इसके पहले से भी हाई कोर्ट इलाहाबाद में पेन्डिंग चल रहा है और इतने ही पूर्व कर्मचारी और उनके आश्रित पैसे के अभाव में वकीलो की फीस तक नहीं दे पा रहे हैं।जिसके कारण वे मुकदमा आजतक नहीं कर पाये हैं।वे आज भी सभी दया के पात्र हैं।लोगो ने कहा कि समायोजन व अन्य सुविधाओ से वंचित छुटे हुए पूर्व सभी सीमेन्ट निगम के कर्मचारियो की समस्याओ का समाधान सरकार करें,ताकि उन सबका जीवन परेशानियो से उबर सके और आर्थिक तंगी से छुटकारा मिल सके।वंचित लगभग चार हजार पूर्व सीमेन्ट कर्मीयो एवं उन पर आश्रित आठ हजार से अधिक स्वजनो को राहत मिल सकेगा।