सोनभद्र, सोनप्रभात, वेदव्यास सिंह मौर्य
मोरंग की बढ़ती कमाई को देखते हुए खनन व्यवसाई के साथ साथ किसान भी दिलचस्पी ले रहे हैं। किसान रघूनाथ दुबे एवं अन्य ने खनन के लिए सभी जरूरी प्रक्रिया को पूरी किया। इस पर शुद्ध खनन व्यवसाईयों की नज़र पड़ गयी। फिर खेला शुरू हो गया खनन का। रघुनाथ दुबे एवं अन्य को खनन करने से रोकने के लिए एक सदस्य को तोड़ लिया गया। इसी आधार पर जिलाधिकारी सोनभद्र ने अपने अधिकारों को इस्तेमाल करते हुए किसानों के इच्छा के विपरीत दूसरी पार्टी के पक्ष में खनन के आदेश जारी कर दिये। थक हार कर लाचार किसानों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के यंग वकील कुमार शिवम एवं उनकी टीम ने ज़ोरदार तरीके से मुकदमे में ज़िरह किया। सबूतों को मद्देनजर रखते हुए माननीय हाईकोर्ट ने फैसला किसान के हक़ में सुनाया। फैसले के मुताबिक जिलाधिकारी के आदेश को पलटते हुए किसानों को राहत प्रदान किया। इस प्रकरण में बसपा से बीजेपी का दामन थामने वाले चर्चित नेता बाहुबली एमएलसी विनीत सिंह का नाम भी सुर्खियों में है। हाईकोर्ट इलाहाबाद का फ़ैसला विनीत सिंह एन्ड कम्पनी के विपरीत आया है। किन परिस्थितियों में जिलाधिकारी ने आदेश किसान रघुनाथ दुबे एन्ड कम्पनी के खिलाफ दिया था यह बात आज भी लोगों के समझ से परे है। हाईकोर्ट का यह आदेश कई मानो में खनिज विभाग के लिए नज़ीर बन गई। शासन की मंशा के अनुरूप यह फैसला आया है। नियम के मुताबिक किसान के बालू पर पहला अधिकार टेंडर प्रक्रिया में भाग लेने वाले किसानों का ही है। अगर टेंडर किसी फर्म को हासिल हो जाता है तो ऐसे में एक रुपये बढ़ाकर उक्त टेंडर को सम्बंधित किसानों के द्वारा प्राथमिकता के आधार पर लिया जा सकता है। ऐसे में टेंडर किसान रघुनाथ दुबे एवं अन्य को हासिल हो गया था। सबसे अधिक बोली दाता फर्म के हाथों से जाल में आयी मछली की तरह टेंडर फिसलकर किसानों के हाथों में चला गया था।अब उक्त फर्म ने तिकड़म भिड़ा कर किसानों में विवाद पैदा करा दिया। इसमें से एक पार्टी ने डिस्प्यूटेड स्थिति के आधार पर खुद को अलग कर विवाद पैदा कर दिया। सम्भवतः इसी आधार पर जिलाधिकारी ने पहले टेंडर हासिल की हुई फर्म को अनुमति पत्र जारी कर दिया। इस पर खुद को पीड़ित महसूस करते हुए किसान रघुनाथ सिंह एवं अन्य ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में पिटीशन दाखिल की थी। अदालत में जनपद सोनभद्र के उदयमान अधिवक्ता कुमार शिवम एवं उनकी टीम ने पीड़ित किसानों के मुकदमे की ज़ोरदार पैरवी किया। ज़ोरदार तरीके से मुकदमा लड़ने वाली वकीलों की टीम को अन्तोगत्वा सफलता मिल गई।फैसला किसान रघुनाथ दुबे एवं अन्य के फेवर में आया। जिसकी चर्चा इलाहाबाद हाईकोर्ट से लेकर जनपद सोनभद्र तक रही। माननीय हाईकोर्ट ने जिलाधिकारी के आदेश को रद्द करते हुए किसानों के फेवर में फैसला सुनाया। अब जिसके दम पर कहानी को पलटा गया था उसे अदालत ने एग्रीमेंट के मुताबिक लाभ का निश्चित हिस्सा देने की बात कही है। आखिर किस दबाव में जिलाधिकारी ने यह निर्णय लिया था इसे भली भांति समझा जा सकता है।
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