सोनभद्र / सोन प्रभात
वेद शब्द से बना है वैदिक और गणना से गणित, जिस गणित का वर्णन हमारे वेदों में मिलता है वही वैदिक गणना पद्धति वैदिक गणित कहलाती है। वैदिक गणित हमारी प्राचीन गणना पद्धति है, जिसका वर्णन हमारे ऋग्वेद/अथर्ववेद में मिलता है।
अंग्रेजों ने 1850 में भारत के सभी गुरुकुलों को नष्ट कर दिया। जब लार्ड मैकाले की शिक्षा पद्धति आई, तो ना गुरु बचे ना गुरुकुल और ना ही उसमें पढ़ाई जाने वाली पद्धतियां या शिक्षा। और वहां से ही हमारे ज्ञान का पतन आरंभ हो जाता है। हमारे वेदों में जो भी ज्ञान था, गुरुकुल उसे आगे बढ़ाते थे। अंग्रेजों के इस आदेश से, ना उन्हें जानने वाले लोग रहे ना उन्हें समझने वाले। धीरे-धीरे वे सभी नष्ट हो गए।
अंग्रेजों का मानना था कि यदि हमारी शिक्षा पद्धति बदल दी जाए तो वे हमें मानसिक रूप से गुलाम बना सकते हैं। इस सोच के अंतर्गत सभी गुरुओं तथा गुरुकुलों को नष्ट कर दिया गया और गुरुकुल चलाना अवैध घोषित कर दिया गया। भारतीयों की विवशता थी कि वे अंग्रेजों के बने स्कूलों में पढ़ें और उनके द्वारा दी गई शिक्षा को ही आत्मसात करें।
जगतगुरु भारती श्री कृष्ण तीर्थ जी, जो कि संस्कृत के प्रकाण्ड विद्वान होने के साथ-साथ विज्ञान तथा अन्य कई विषयों के ज्ञाता भी थे, उन्होंने 1911 से 1918 के बीच एक-एक सूत्र का अध्ययन किया तथा 1957 में उसे प्रकाश में लाने हेतु एक पुस्तक लिखी, जो 1965 में उनके देहावसान के पश्चात् बनारस हिंदू विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित हुई। पुस्तक में उन्होंने बताया कि वैदिक गणित में 16 सूत्र तथा 13 उपसूत्र हैं, जिनके माध्यम से किसी भी सवाल को हल किया जा सकता है। यह विधि गणना की तेज विधि है। इसके द्वारा किसी भी गणना को बहुत ही कम समय में किया जा सकता है। यह गणित और विज्ञान के किसी भी क्षेत्र में सहायता करती है। दिमाग को कैलकुलेटर जैसा बना देती है। जैसे दो अंकों वाली संख्याओं का गुणा करना हो तो अभ्यास के द्वारा मौखिक रूप से भी इसका उत्तर दे सकते हैं। जैसे 94 x 95 या 101 x 200 या 214 x 5 बहुत ही सरलता से वैदिक विधि से हो जाता है जिसमें कुछ सेकंड ही लगते हैं जबकि प्रचलित विधियों से गणना धीमी गति से होती है। जैसे यदि 214 x 5 को हल करना है तो गुणा करने के बजाय उसमें हम दो से भाग दे देंगे जिसका उत्तर 107 बहुत ही जल्दी निकल आएगा और उसके बाद उसके आगे शून्य 0 लगा देंगे। उत्तर 1070 होगा। इसे चरणबद्ध तरीके से समझते हैं-
प्रश्न- 214 x 5
चरण 1- संख्या/2 214/2
प्राप्त उत्तर। 107
चरण 2- प्राप्त उत्तर के आगे शून्य 1070
214 x 5 = 1070
इसी प्रकार से मैं दूसरा उदाहरण आपको 100 के नजदीकी दो अंकों के गुणा का देना चाहूंगी,
प्रश्न – 96 x 94
इसे करने में ऐसे तो बहुत समय लगता है लेकिन वैदिक गणित के द्वारा से सरलता से किस प्रकार हल करते हैं आइए देखते हैं –
चरण 1- दोनों संख्याओं को देखते हैं कि वे 100 से कितनी कम है
100 – 96 = 4
100 – 94 = 6
चरण 2- आए परिणामों को एक दूसरे से गुणा कर देते हैं ।
अर्थात 6 x 4 = 24
चरण 3- दी गई संख्या को तिर्यक दिशा के अंक से घटा देते हैं। जैसे-
96………04
94……….06
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यहां 96 का तिर्यक अंक 6 तथा 94 का तिर्यक अंक 4 है।
96 – 6 = 90
चरण 4- चरण तीन तथा चरण 2 में आए हुए उत्तर को एक दूसरे के बगल में क्रम से लिख देते हैं। चरण एक से प्राप्त उत्तर 90 चरण एक दो से प्राप्त उत्तर 24
अभीष्ट उत्तर = 9024
96 x 94 = 9024
ऐसी बहुत सी विधियां है, जो की वैदिक गणित में बताई गई हैं। ये सभी विधियां गणना को तीव्र गति प्रदान करती हैं। प्रतियोगिता परीक्षाओं के लिए तथा वैज्ञानिक विधियों के लिए बहुत ही उपयोगी हैं। किंतु इस विधि के जानकार बहुत ही कम हैं, इसलिए अभी तक यह बेसिक शिक्षा या माध्यमिक शिक्षा में पूर्ण रूपेण लागू नहीं की जा सकी है। इसका उपयोग अंकगणित, बीजगणित, कलन, शंकु विज्ञान तथा अन्य गणितीय सवालों के लिए किया जा सकता है।
प्रचलित विधि में बहुत सारी मूर्खतापूर्ण त्रुटि हो जाती है जो वैदिक विधि में नहीं होती है। बहुत सारे लोगों का यह मानना है कि कृष्ण तीर्थ जी ने ही इसे खोजा। बच्चों उन्होंने इसे ऋग्वेद/अथर्व वेद से खोजा ना कि सूत्र स्वयं बनाए। कुछ लोगों का मानना है कि वेदों में इन सूत्रों को खोजा गया परंतु उन्हें यह सूत्र नहीं मिले किंतु भारती श्रीकृष्ण तीर्थजी का कहना था कि उन्होंने यह सूत्र वेदों से ही प्राप्त किये हैं। वैदिक विधि से लघुत्तम समापवर्त्य, महत्तम समापवर्त्य सरलता से ज्ञात किये जा सकते हैं तथा जटिल अथवा बड़ी-बड़ी गणनाएं भी सेकेण्डों में हल किये जा सकते हैं।
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Ashish Gupta is an Indian independent journalist. He has been continuously bringing issues of public interest to light with his writing skills and video news reporting. Hailing from Sonbhadra district, he is a famous name in journalism of Sonbhadra district.