Sonprabhat Digital Desk
धर्म और आस्था की नगरी प्रयागराज : प्रयागराज, जिसे संगम नगरी के नाम से भी जाना जाता है, जल्द ही एक अद्वितीय धार्मिक उत्सव का गवाह बनने जा रहा है। 13 जनवरी से शुरू होने वाले 45 दिवसीय महाकुंभ मेले की तैयारी जोरों पर है। यह मेला भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है। मेले में संतों, श्रद्धालुओं और तीर्थयात्रियों की भारी भीड़ उमड़ेगी। बड़े-बड़े तंबू, रंगबिरंगी लाइटें और चिलम सुलगाते नागा साधुओं का दृश्य एक अलग ही माहौल बनाएगा। अगर आप इस महाकुंभ मेले का हिस्सा बनते हैं, तो संगम में पवित्र डुबकी लगाने के साथ-साथ प्रयागराज के इन तीन पौराणिक मंदिरों के दर्शन जरूर करें।
1. पातालपुरी मंदिर
पातालपुरी मंदिर, प्रयागराज का एक प्राचीन और अद्वितीय धार्मिक स्थल है। जैसा कि नाम से स्पष्ट है, यह मंदिर जमीन के नीचे स्थित है। संगम तट के पास बने इस मंदिर में जाने पर स्वर्ग और नर्क की मान्यताओं का गहरा सार समझा जा सकता है। मंदिर में प्रवेश करते समय धर्मराज की मूर्ति और बाहर निकलते समय यमराज की मूर्ति दिखाई देती है।
मंदिर परिसर में छठवीं शताब्दी की ऐतिहासिक मूर्तियां और दीवारें मौजूद हैं। कहा जाता है कि इस स्थान पर त्रेता युग में माता सीता ने अपने कंगन दान किए थे। यहां भगवान शिव अपने अर्धनारीश्वर रूप में विराजमान हैं। साथ ही, तीर्थराज प्रयाग की भी प्रतिमा है। इस मंदिर में भगवान शनि को समर्पित अखंड ज्योति प्रज्वलित रहती है।
2. नागवासुकी मंदिर
संगम तट से उत्तर दिशा की ओर स्थित नागवासुकी मंदिर नागों के राजा वासुकी नाग को समर्पित है। यह मंदिर अत्यंत प्राचीन है और इसकी ऐतिहासिक महिमा दूर-दूर तक प्रसिद्ध है। मान्यता है कि प्रयागराज की तीर्थयात्रा तब तक पूरी नहीं मानी जाती जब तक नागवासुकी मंदिर के दर्शन न कर लिए जाएं।
कहा जाता है कि मुगल बादशाह औरंगजेब जब मंदिरों को नष्ट कर रहा था, तब उसने नागवासुकी मंदिर को तोड़ने का प्रयास किया। लेकिन जैसे ही उसने मूर्ति पर प्रहार किया, वहां से दूध की धार निकली और वह बेहोश हो गया। इसके बाद वह हताश होकर वापस लौट गया। यह घटना इस मंदिर की दिव्यता को दर्शाती है।
3. अक्षयवट और सरस्वती कूप
अक्षयवट और सरस्वती कूप श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र हैं। अक्षयवट एक पवित्र बरगद का वृक्ष है, जिसका कभी नाश नहीं हो सकता। यह वृक्ष चारों युगों से यहां विद्यमान है। कहा जाता है कि भगवान श्री राम, माता सीता और भाई लक्ष्मण ने त्रेता युग में यहां तीन रात्रि विश्राम किया था। मान्यता है कि प्रलय के समय भी यह वृक्ष सुरक्षित रहेगा।
सरस्वती कूप या काम्यकूप भी एक ऐतिहासिक स्थान है। पहले इसे मोक्ष प्राप्ति का स्थान माना जाता था और लोग यहां अपने प्राण त्यागते थे। बाद में अकबर ने इसे अपने शासनकाल में ढकवा दिया। वर्तमान में यह कूप ढका हुआ है और लाल रंग से चिन्हित गोलाकार स्थान के रूप में देखा जा सकता है।
महाकुंभ मेले के दौरान प्रयागराज न केवल संगम में डुबकी लगाने का अवसर प्रदान करता है, बल्कि इन ऐतिहासिक और पौराणिक मंदिरों के दर्शन से यात्रा को पूर्णता प्रदान करता है। इन मंदिरों का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व हर श्रद्धालु के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव बनाता है। अगर आप इस बार महाकुंभ का हिस्सा बन रहे हैं, तो इन स्थलों का भ्रमण करना न भूलें।
Ashish Gupta is an Indian independent journalist. He has been continuously bringing issues of public interest to light with his writing skills and video news reporting. Hailing from Sonbhadra district, he is a famous name in journalism of Sonbhadra district.