Bijpur News : Report – Vinod Gupta/ Sonbhadra News – Sonprabhat
बीजपुर (सोनभद्र): शिक्षा क्षेत्र म्योरपुर के अंतर्गत संचालित कम्पोजिट विद्यालय बीजपुर में एबीएसए विश्वजीत कुमार की भूमिका को लेकर भारी विवाद खड़ा हो गया है। यह विद्यालय अब शिक्षा के मंदिर से अधिक राजनीति का अखाड़ा बनता जा रहा है।
चार्ज विहीन विद्यालय में भोजन संकट
सूत्रों के अनुसार एबीएसए द्वारा अपने चहेते संकुल शिक्षक प्रधानाध्यापक देवनारायण गुप्ता को सीएल पर भेजने के बाद स्कूल में अव्यवस्था की स्थिति उत्पन्न हो गई। इसका सीधा असर बच्चों के मध्याह्न भोजन पर पड़ा। मंगलवार को विद्यालय में चार्ज न होने के कारण रसोइयों को 11 बजे तक लकड़ी के चूल्हे पर हाथ सेंकते देखा गया। विद्यालय में न तो दाल उपलब्ध थी और न ही सब्जी। स्थिति बिगड़ती देख ग्राम प्रधान पति विश्राम सागर गुप्ता ने स्वयं एक किलो दाल खरीदकर भेजी, तब जाकर लगभग 200 बच्चों के लिए भोजन तैयार हो सका।

सूत्रों के अनुसार , एबीएसए ने कम्पोजिट विद्यालय बीजपुर में तैनात तीन वरिष्ठ महिला शिक्षकों से दबाव में लिखवा लिया कि वे विद्यालय का चार्ज नहीं लेना चाहतीं। लेकिन शिक्षक नारायण दास ने ऐसा लिखने से इनकार कर दिया, जिससे एबीएसए की योजना विफल हो गई। नारायण दास ने जूनियर टीचर देवनारायण गुप्ता को चार्ज देने का विरोध करते हुए सीएम पोर्टल और अन्य प्लेटफार्म पर शिकायत भी दर्ज कराई। इसके बाद एबीएसए ने 31 जनवरी 2025 की बैकडेट में उन्हें चार्ज लेने का निर्देश दिया, लेकिन नारायण दास ने इसे ठुकरा दिया।
गड़बड़झाला और चोरी का मामला
नारायण दास का कहना है कि स्कूल में पूर्व में कई गड़बड़ियां हुई हैं। विद्यालय से बैटरी चोरी हो गई और कई सामान गायब हैं, लेकिन प्रभारी प्रधानाध्यापक देवनारायण गुप्ता ने इसकी सूचना तक पुलिस में दर्ज नहीं कराई। ऐसे में पुराने गड़बड़झाले के कारण बैकडेट में चार्ज लेना जोखिम भरा हो सकता है। उन्होंने मांग की कि वर्तमान तारीख में उन्हें चार्ज दिया जाए।
पसंद-नापसंद की राजनीति?
अंदरखाने की खबरों के मुताबिक, एबीएसए किसी भी हाल में नारायण दास को पसंद नहीं करते। वे अपनी पूरी ताकत लगा रहे हैं कि देवनारायण गुप्ता को दोबारा प्रभारी प्रधानाध्यापक बना दिया जाए, ताकि उनकी निजी व्यवस्थाएं सुचारू रूप से चलती रहें। यही कारण है कि शिक्षा व्यवस्था के बजाय व्यक्तिगत हितों को प्राथमिकता दी जा रही है।
अधिकारी मौन, सवालों से बच रहे जिम्मेदार
जब इस संबंध में एबीएसए विश्वजीत कुमार से फोन पर बात करने की कोशिश की गई, तो उन्होंने फोन काट दिया। वहीं, बीएसए मुकुल आनंद पांडेय को भी तीन बार कॉल किया गया, लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया। इस पूरे घटनाक्रम ने शिक्षा विभाग की निष्पक्षता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। बच्चों के भोजन और शिक्षा से जुड़ा यह मामला जल्द सुलझाया नहीं गया, तो शिक्षा व्यवस्था पर इसका गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।
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