June 23, 2025 10:17 PM

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Sonbhadra News : नाबालिग से दुष्कर्म के दोषी को 10 साल की सजा, 1 लाख रुपये का जुर्माना

Sonbhadra News : छह साल पहले शादी का झांसा देकर नाबालिग के साथ दुष्कर्म करने वाले बलिराम को अपर सत्र न्यायाधीश ने सुनाई सजा, जुर्माना न देने पर एक साल की अतिरिक्त कैद, पीड़िता को मिलेगी 50 हजार रुपये की राहत राशि

Sonbhadra News | Sonprabhat | Sanjay Singh

सोनभद्र | अपर सत्र न्यायाधीश एफटीएससी/सीएडब्ल्यू, सोनभद्र, अर्चना रानी की अदालत ने शुक्रवार को एक छह साल पुराने दुष्कर्म मामले में फैसला सुनाते हुए दोषी बलिराम को 10 वर्ष की कठोर कारावास और 1 लाख रुपये के अर्थदंड की सजा दी। कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि जुर्माना न चुकाने की स्थिति में दोषी को एक साल की अतिरिक्त जेल काटनी होगी। साथ ही, अर्थदंड की आधी राशि यानी 50,000 रुपये पीड़िता को देने का निर्देश जारी किया गया। जेल में पहले से बिताई गई अवधि को सजा में शामिल किया जाएगा।

मामले का विवरण

अभियोजन पक्ष के अनुसार, यह घटना रॉबर्ट्सगंज कोतवाली क्षेत्र के एक गांव से जुड़ी है। पीड़िता की दादी ने 14 फरवरी 2019 को रॉबर्ट्सगंज थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत में कहा गया था कि उनकी 14-15 साल की नाबालिग नातिन को बलिराम, पुत्र मन्नीलाल (निवासी शोभनाथ मंदिर के पीछे, पुसौली, थाना रॉबर्ट्सगंज), ने शादी का झांसा देकर कई बार शारीरिक संबंध बनाए। जब पीड़िता गर्भवती हुई, तो आरोपी ने शादी से इनकार कर दिया और दूसरी शादी कर ली। इतना ही नहीं, उसने गर्भपात कराने की धमकी भी दी। इस तहरीर के आधार पर पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज की और जांच शुरू की। पर्याप्त सबूत मिलने के बाद जांच अधिकारी ने अदालत में चार्जशीट दाखिल की थी।

कोर्ट की कार्यवाही

मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने अभियोजन और बचाव पक्ष के वकीलों की दलीलें सुनीं। गवाहों के बयानों और उपलब्ध साक्ष्यों का गहन अध्ययन करने के बाद अदालत ने बलिराम को दोषी करार दिया। शुक्रवार को सजा का ऐलान करते हुए जज ने कहा कि अपराध की गंभीरता को देखते हुए यह सजा जरूरी है। अभियोजन पक्ष की ओर से सरकारी वकील सत्यप्रकाश त्रिपाठी ने प्रभावी ढंग से पैरवी की।

पीड़िता को राहत

कोर्ट के इस फैसले से पीड़िता को न केवल न्याय मिला, बल्कि आर्थिक सहायता भी सुनिश्चित हुई। अर्थदंड की 50,000 रुपये की राशि पीड़िता को दी जाएगी, जो उसके भविष्य के लिए एक छोटी राहत हो सकती है।

कानूनी संदेश

यह फैसला समाज में एक सख्त संदेश देता है कि नाबालिगों के खिलाफ अपराध को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सोनभद्र की इस अदालत का निर्णय अन्य मामलों में भी मिसाल बन सकता है।

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