April 20, 2025 1:18 PM

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Sonbhadra News : शिवाजी तालाब पर आस्था का सागर, चैती छठ (Chaiti Chhath) में डूबते सूर्य को दिया गया अर्घ्य

Sonbhadra News : चैत्र नवरात्रि के छठे दिन व्रतधारी महिलाओं ने पारंपरिक परिधान में शिवाजी तालाब पर किया छठी माई का पूजन, संतान की दीर्घायु और परिवार के सुख-समृद्धि की कामना के साथ डूबते सूर्य को अर्पित किया अर्घ्य, धार्मिक संगठनों ने निभाई सेवा की जिम्मेदारी

Sonbhadra News | Sonprabhat | Jitendra Kumar Chandravanshi

दुद्धी, सोनभद्र। चैत्र नवरात्रि के अवसर पर मनाए जाने वाले चैत्र छठ (Chaiti Chhath) महापर्व का छठा दिन श्रद्धा और आस्था की रोशनी से सराबोर रहा। गुरुवार की संध्या बेला में व्रतधारी महिलाओं और पुरुषों ने दुद्धी स्थित शिवाजी तालाब में डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर छठी मैया की आराधना की। व्रतधारियों ने अपने पुत्रों और परिवार के कल्याण हेतु प्रार्थना की तथा अपने कठिन तप का पालन करते हुए व्रत की रीति-नीति का पूर्ण पालन किया।

लाल-पीली साड़ियों में सजीं व्रती महिलाएं, सिंदूर से दमकती मांग

तालाब के पावन तट पर महिलाओं की उपस्थिति ने दृश्य को आस्था से ओतप्रोत कर दिया। लाल और पीले रंग की पारंपरिक साड़ियों में सजीं माताएं सिंदूर से भरी मांग और थालों में पूजा सामग्री लिए जब सूर्य को अर्घ्य दे रही थीं, तब वातावरण पूरी तरह भक्तिमय हो गया। छठी माई के जयकारों से गूंजता तालाब का किनारा आस्था की गहराई को अभिव्यक्त कर रहा था।

छठ व्रत की परंपरा और महत्व

छठ महापर्व साल में दो बार मनाया जाता है। पहली बार कार्तिक शुक्ल षष्ठी को और दूसरी बार चैत्र नवरात्रि में चैती छठ के रूप में। कार्तिक छठ में जहां भारी संख्या में श्रद्धालु भाग लेते हैं, वहीं चैती छठ भी उतनी ही श्रद्धा से मनाई जाती है। यह पर्व विशेष रूप से संतान की लंबी उम्र, परिवार की सुख-शांति और समृद्धि के लिए किया जाता है। चैत्र नवरात्रि में माता रानी के छठे स्वरूप कात्यायनी देवी की पूजा भी इसी दिन होती है, जिन्हें छठ माता का ही रूप माना जाता है।

उदयाचलगामी सूर्य को अर्घ्य देकर होगा व्रत का पारण

शुक्रवार की सुबह उदयाचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही व्रती अपने तीन दिवसीय तप और उपासना का समापन करेंगे। इस अवसर पर व्रतधारियों द्वारा पूजा-अर्चना कर महापर्व का पारण किया जाएगा।

धार्मिक संगठनों की सेवा भी सराहनीय

शिवाजी तालाब परिसर में छठ व्रतियों की सुविधा हेतु विभिन्न धार्मिक संगठनों के लोग सेवाभाव से जुटे रहे। उन्होंने जल, प्रकाश, साफ-सफाई और व्यवस्था बनाए रखने में सक्रिय भागीदारी निभाई।

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