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सोनभद्र : 11 वर्ष पहले एक दलित युवती के साथ घर में घुसकर दुष्कर्म करने के मामले में सोमवार को विशेष न्यायाधीश (एससी/एसटी कोर्ट) सोनभद्र, आबिद शमीम की अदालत ने दोषी अमर शेखर दुबे उर्फ देवा दुबे को सख्त सजा सुनाई। कोर्ट ने दोषी को 7 वर्ष का सश्रम कारावास और 50 हजार रुपये का अर्थदंड अदा करने का आदेश दिया है। यदि दोषी अर्थदंड राशि जमा नहीं करता है, तो उसे अतिरिक्त तीन माह की कैद भुगतनी होगी। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि अर्थदंड की राशि में से 40 हजार रुपये पीड़िता को मुआवजा के रूप में दिए जाएंगे।
मामले की पृष्ठभूमि
यह मामला 11 वर्ष पुराना है, जब 19 मार्च 2014 को पीड़िता अपने घर में अकेली थी। अभियोजन पक्ष के अनुसार, बारी महेवा गांव निवासी देवा दुबे, पुत्र प्रेम शंकर दुबे, पीड़िता के घर में घुस आया और उसका मुंह दबाकर जबरन दुष्कर्म किया। घटना के दौरान उसने पीड़िता को धमकी दी थी कि यदि उसने इस बारे में किसी को बताया, तो उसे जान से मार दिया जाएगा। शोरगुल सुनकर आसपास के लोग मौके पर पहुंचे, जिसके बाद आरोपी वहां से भाग गया। पीड़िता ने पूरी घटना की जानकारी अपनी मां को दी, जिसके बाद 28 मार्च 2014 को पीड़िता की मां ने करमा थाना में तहरीर दी।

पुलिस ने तहरीर के आधार पर एफआईआर दर्ज की और मामले की जांच शुरू की। जांच के दौरान पर्याप्त सबूत मिलने पर विवेचक ने कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की। सोमवार को हुई सुनवाई में विशेष न्यायाधीश ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के तर्कों, गवाहों के बयानों और उपलब्ध साक्ष्यों को ध्यान से सुना। इसके बाद अदालत ने देवा दुबे को दोषी करार देते हुए सजा सुनाई।
पीड़िता को न्याय और मुआवजा
अदालत ने यह सुनिश्चित किया कि पीड़िता को न केवल न्याय मिले, बल्कि उसे आर्थिक सहायता भी प्रदान की जाए। अर्थदंड की राशि में से 40 हजार रुपये सीधे पीड़िता को दिए जाएंगे, जो उसके लिए एक राहतकारी कदम माना जा रहा है। अभियोजन पक्ष की ओर से सरकारी वकील सी शशांक शेखर कात्यायन ने मामले में प्रभावी बहस की, जिससे न्याय की प्रक्रिया में तेजी आई।
समाज में संदेश
इस फैसले को स्थानीय लोगों और सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा सकारात्मक कदम के रूप में देखा जा रहा है। यह फैसला न केवल पीड़िता के लिए न्याय सुनिश्चित करता है, बल्कि समाज में यह संदेश भी देता है कि अपराधियों को सजा से नहीं बख्शा जाएगा, चाहे समय कितना भी लग जाए। विशेष न्यायाधीश की इस कार्रवाई से अपराधियों में डर और पीड़ितों में न्याय की उम्मीद जगी है।
सोनभद्र जिले में यह मामला एक बार फिर यह साबित करता है कि कानून अपने हाथ में लेने वालों को सजा जरूर मिलती है, भले ही इसके लिए लंबा समय क्यों न लगे। पुलिस और न्यायपालिका की इस संयुक्त कार्रवाई से क्षेत्र में कानून के शासन को मजबूती मिली है।

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