June 23, 2025 10:46 PM

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Sonbhadra News: अवैध गिट्टी परिवहन पर नहीं लग रही लगाम, कोलिया घाट और चेरूई वन मार्ग बने माफियाओं के सुरक्षित रास्ते

Sonbhadra News | संवाददाता – अनिल कुमार अग्रहरी

गुरमा, सोनभद्र | जिले में अवैध गिट्टी परिवहन का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। लखनऊ से आई खनिज विभाग की विशेष टीम इन दिनों लोढ़ी टोल प्लाजा पर उपखनिज लदे वाहनों की गहनता से जांच कर रही है। इसके बावजूद माफिया किस्म के ट्रांसपोर्टर वैकल्पिक रास्तों का सहारा लेकर ओवरलोड और बिना रॉयल्टी वाले वाहनों को मीरजापुर और वाराणसी तक पहुंचा रहे हैं।


कोलिया घाट से होकर रोजाना निकल रहे हैं 50 से अधिक हाइबा वाहन

सूत्रों के मुताबिक, प्रतिदिन लगभग 50 हाइबा वाहन चोपन थाना क्षेत्र के सिंदुरिया से होते हुए जुगैल, सेमिया, घोरिया, चतरवार होकर नव-निर्मित कोलिया पुल पार कर घोरावल पहुंच रहे हैं। वहां से यह वाहन मीरजापुर और वाराणसी की ओर रवाना हो जाते हैं। यह मार्ग माफियाओं के लिए “सुरक्षित” माना जा रहा है क्योंकि यहां विभागीय निगरानी बेहद कमजोर है।


26000 रुपये की ई-एमएम रसीद की बचत, सरकार को हो रही भारी राजस्व हानि

प्रत्येक वाहन के ई-एमएम पर्ची की औसतन कीमत करीब 26,000 रुपये बताई जा रही है। ऐसे में प्रतिदिन 50 वाहनों के हिसाब से लाखों की राजस्व क्षति सरकार को हो रही है। सोशल मीडिया पर इन अवैध परिवहन के वीडियो वायरल होने के बावजूद जिम्मेदार विभाग और प्रशासन की ओर से अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।


पुलिस थानों पर ‘मैनेजमेंट’ का आरोप, बिना रोकटोक के गुजरते वाहन

ट्रक चालकों और स्थानीय सूत्रों के अनुसार, चोपन, जुगैल और घोरावल थाना क्षेत्रों में प्रति वाहन एक तयशुदा रकम वसूली जाती है। यही कारण है कि इन मार्गों पर बिना किसी रोकटोक के अवैध परिवहन जारी है। लोगों का कहना है कि यदि स्थानीय पुलिस चाह ले, तो यह अवैध धंधा पूरी तरह से बंद हो सकता है।


चेरूई वन मार्ग: माफियाओं के लिए दूसरा मुफीद रास्ता

कोलिया घाट के अलावा चेरूई वन मार्ग का उपयोग भी बड़े पैमाने पर अवैध गिट्टी परिवहन के लिए किया जा रहा है। यह घना जंगल क्षेत्र है, जो बिना किसी निगरानी के माफियाओं को एक वैकल्पिक और सुरक्षित रास्ता उपलब्ध कराता है। खास बात यह है कि जब जिले में खनन और एआरटीओ की बाहरी टीमें चेकिंग अभियान चलाती हैं, तब इन दोनों रास्तों का सबसे अधिक उपयोग किया जाता है।


एक साल से संचालित है ये रैकेट, विभागीय मिलीभगत का आरोप

स्थानीय लोगों और सूत्रों का दावा है कि पिछले एक साल से यह पूरा रैकेट सक्रिय है। इसमें स्थानीय पुलिस और वन विभाग के कुछ लोगों की मिलीभगत भी बताई जा रही है, जो माफियाओं को सुरक्षित रास्ते से वाहन निकालने में सहयोग कर रहे हैं। रैकेट इतना संगठित है कि यह अवैध माल वाहनों को बिना किसी बाधा के घोरावल थाना क्षेत्र पार करा देता है।

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