Sonbhadra News | Rajesh Pathak
सोनभद्र। शहीद स्मारक उपधी तरावां की पावन धरती पर मंगलवार की शाम साहित्य, राष्ट्रप्रेम और श्रद्धा का अनुपम संगम देखने को मिला। “सुधाकर पांडेय स्वदेश प्रेम” एवं “पुष्पा देवी स्वदेश प्रेम” के संयोजन में भूमि पूजन, काव्य संध्या एवं अभिनंदन समारोह का भव्य आयोजन किया गया, जिसमें जनपद व बाहर से पधारे साहित्यकारों व कवियों ने अपनी ओजस्वी और भावपूर्ण रचनाओं से कार्यक्रम को अविस्मरणीय बना दिया।
विशिष्ट अतिथियों की गरिमामयी उपस्थिति
कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार अजय शेखर ने की, जबकि मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. धर्मवीर तिवारी, श्यामसुंदर देव पांडेय एवं अभिलाष देव पांडेय मंचासीन रहे। विशिष्ट अतिथि के रूप में रामनाथ शिवेन्द्र (कथाकार) एवं कांग्रेस शहर अध्यक्ष फरीद अहमद उपस्थित रहे। दीपदान, वाणी वंदना एवं राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।

शहीदों की स्मृति को समर्पित होगा स्मारक
इस अवसर पर आयोजन समिति द्वारा यह घोषणा की गई कि शीघ्र ही शहीद स्मारक उपधी तरावां परिसर में रानी लक्ष्मीबाई, अशफाक उल्ला खां एवं छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमाएं स्थापित की जाएंगी, ताकि आने वाली पीढ़ियों को अपने देश के वीरों के त्याग और बलिदान की प्रेरणा मिल सके।
कवियों ने शब्दों में बांधी देशभक्ति की तस्वीर
काव्य संध्या में देश के अमर सपूतों को स्मरण करते हुए कवियों ने मन को छू लेने वाली प्रस्तुतियां दीं—
प्रदुम्न कुमार त्रिपाठी (एडवोकेट) ने ओजपूर्ण पंक्तियाँ “जिनके खून से जल रहे चिराग ए वतन, है उनकी कसम शम्मा बुझने नहीं देंगे” सुनाकर माहौल को देशभक्ति से भर दिया।
सुधाकर स्वदेश प्रेम ने “तिरंगे में सजी अर्थी, बजे धुन राष्ट्रगीतों की…” सुनाकर श्रोताओं की आंखें नम कर दीं।
धर्मेश चौहान ने “धरती मां की शान, हिंदुस्तान मेरा है” की ओजस्वी प्रस्तुति दी।
प्रभात सिंह चंदेल ने “सपूत पूत भारती के लहू से तिलक लगाते हैं” सुनाकर वीरों को श्रद्धा सुमन अर्पित किए।
अजय शेखर ने “परोपकार में निज देह का दान करते हैं, हड्डियों से वज्र निर्माण करते हैं” के माध्यम से बलिदान की महत्ता बताई।
रामनाथ शिवेन्द्र ने समाज की सच्चाई को उजागर करते हुए “मजहबों में जकड़े हैं इंसान किसलिए?” की रचना प्रस्तुत की।
डॉ. रचना तिवारी ने अपने भावगर्भित काव्य “हवा हूं मैं… मोहब्बत का पता हूं मैं” से खूब सराहना पाई।
अब्दुल हई ने “कैद से रिहा न करो, गुलसिताँ पर अभी सैय्याद के पहरे होंगे” कहकर संवेदनाओं को जाग्रत किया।
अशोक तिवारी एडवोकेट ने “हिंसा का दावानल जब बस्तियां जलाए…” से शांति का संदेश दिया।
अरुण तिवारी ने “भारती की आरती उतारिए…” से राष्ट्रमाता को नमन किया।
रचना पाठ में सभी विधाओं की बही सरिता
कार्यक्रम में दिवाकर मेघ, दयानंद दयालू, विजय विनीत, दिलीप सिंह दीपक, जयश्री राय, गोपाल कुशवाहा, राधेश्याम पाल, विवेक चतुर्वेदी आदि रचनाकारों ने गीत, ग़ज़ल, मुक्तक, छंद व ओज तथा श्रृंगार रस से सराबोर रचनाओं के माध्यम से कार्यक्रम को एक नई ऊंचाई प्रदान की।
प्रख्यात शायर मुनीर बख्श आलम को श्रद्धांजलि
कार्यक्रम के अंत में देश के प्रख्यात शायर मुनीर बख्श आलम को उनकी पुण्यतिथि (10 जून) पर याद करते हुए दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गई।
साहित्यप्रेमियों की उमड़ी भीड़
इस अवसर पर रोहित, अमरेश देव पांडेय, राजन, ऋषभ त्रिपाठी, ठाकुर कुशवाहा, अमित सिंह एडवोकेट सहित अनेक साहित्यप्रेमियों ने अपनी उपस्थिति से आयोजन की गरिमा बढ़ाई। कार्यक्रम का सुंदर संचालन अशोक तिवारी द्वारा किया गया।

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